
नई दिल्ली : गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा में करीब पांच घंटे तक जोरदार बहस हुई। सदन में 323 सांसदों ने बिल के समर्थन में मतदान किया जबकि 3 वोट विपक्ष में डाले गए। सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस विषय पर ऐतिहासिक कदम उठाने की जरूरत थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है। मोदी सरकार ने मंगलवार को (08 जनवरी, 2019) आर्थिक रूप से पिछड़े ऊंची जातियों के लोगों को 10% अतिरिक्त आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया गया था। कैबिनेट ने ईसाइयों और मुस्लिमों समेत अनरिजर्वड कटैगरी के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया। इसका फायदा 8 लाख रुपए सालाना आय सीमा और करीब 5 एकड़ भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा।

लोकसभा में मतदान से पहले मतदान की प्रक्रिया समझाई गई।
थावर चंद गहलोत ने कहा कि इस बिल में ठाकुर, ब्राह्मण, ईसाई, मुस्लिम सभी का ध्यान रखा गया है। सामान्य वर्ग को 10 फीसद आरक्षण मिलना ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिल देर से लाए लेकिन सही नीयत से लाए। सवर्ण आरक्षण पर फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसी तरह की अड़चन न आए इसलिए संविधान संशोधन विधेयक लाया गया है। विपक्षी दलों के पास कोई वजह नहीं है कि वो सरकार की नीयत पर शक करें।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद हैं।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये संविधान का अपमान है, ये बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के साथ धोखा है। तेलंगाना में मुस्लिमों को आरक्षण देने के मुद्दे पर बीजेपी की राय अलग थी। लेकिन अब उनके सुर बदल चुके हैं।
●सवर्ण आरक्षण बिल को आईएनएलडी सांसद दुष्यंत चौटाला ने लॉलीपॉप बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने महज सियासी लाभ के लिए इस बिल आनन फानन में लाई और इस बिल को पारित कराने की कोशिश कर रही है।
●केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बहस में शिरकत करते हुए कहा कि सामान्य वर्ग के गरीब को पहली बार फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंत भला तो सब भला। इसके साथ ही उन्होंने सवाल भी किया कि क्या अगर कोई गरीब शख्स अमीर बनेगा तो आरक्षण हट जाएगा।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उनकी पार्टी बिल का समर्थन करती हैं। लेकिन सरकार की नीति और नीयत पर भरोसा नहीं है। सत्र के आखिरी दिन बिल लाए जाने का औचित्य समझ के बाहर है। सच ये है कि सरकार की नीयत पर कांग्रेस को भरोसा नहीं है।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनके क्षेत्र के सवर्ण युवक उन्हें आरक्षण वाला मंत्री कहते थे। उन्होंने कहा कि आरक्षण से समृद्धि नहीं आती है। सच बात तो ये है कि आरक्षण उन्हें मिलना चाहिए जो सरकारी स्कूल में पढ़ें हों। बिल में इस प्रावधान को जोड़ा जाना चाहिए।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। एसपी सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार को सभी पदों पर असमानता दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से समाज के सभी वर्गों को आरक्षण की जरूरत है।
●सवर्ण आरक्षण बिल पर लोकसभा में जारी बहस को बीजेपी ने ट्वीट किया है। बीजेपी का कहना है कि आखिर वो कौन लोग हैं जो इस बिल को अगले सेशन तक ले जाना चाहते हैं। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जानबूझकर अड़ंगा लगा रही है।
●रामविलास पासवान ने कहा कि बिना किसी का हक मारे आरक्षण देने में क्या दिक्कत है। जब उन्होंने पार्टी बनाई थी उस वक्त उन्होंने अगड़ी जातियों को आरक्षण देने की मांग की थी। रामविलास पासवान ने कहा कि बिल को 9वीं अनुसूची में डाले जाने से कोर्ट दखल नहीं देगा।
●केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अगड़ी जातियों के गरीब लोगों को 10 फीसद आरक्षण दिए जाने से वो खुश है। उन्होंने सरकार के फैसले को सही करार देते हुए कहा कि ये सभी के सिए समान अवसर वाली बात है। पासवान ने कहा की सवर्ण आर्थिक तौर कमजोर हुए हैं। उन्होंने 60 फीसद आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाले जाने की मांग की।
●टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोटा बिल की तरह महिला आरक्षण बिल को ये सरकार प्राथमिकता के साथ क्यों नहीं ला रही है। यह बिल नौकरियों से संबंधित नहीं है, इस बिल के जरिए युवाओं को छला जा रहा है।
●वित्त मंत्री जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस का 2014 का घोषणापत्र पढ़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2014 में अगड़ी जाति के गरीब समाज को आरक्षण देने का वादा किया था।
●वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संसद में पास होकर 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण संभव है। 50 फीसद आरक्षण जातिगत है। 50 फीसद का आरक्षण सामाजिक तौर पर पिछड़े समाज के लिए है। सामाजिक भेदभाव कम करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था।
●उन्होंने कहा कि आरक्षण पर जुमले की शुरुआत विपक्ष ने की थी। इस बिल से सभी वर्गों को समानता का अधिकार मिलेगा। इस बिल को विधानसभाओं से पास कराने की जरूरत नहीं है। अनुच्छेद 368 के पार्ट तीन में इसकी व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि जाति बदलना संभव नहीं है। अरुण जेटली ने ये भी कहा कि तरक्की के बावजूद आप जाति को नहीं बदल सकते हैं।
●वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सभी दलों मे अनारक्षित वर्ग के लिए आरक्षण की घोषणा की थी। सवर्ण आरक्षण पर अब तक सही प्रयास नहीं हुए थे। पिछली सरकारों ने सही कोशिशें नहीं की थी।
●कांग्रेस सांसद के वी थामस ने कहा कि इस बिल से पार्टी को ऐतराज नहीं है। लेकिन इसे राजनीतिक मकसद के साथ जल्द लाया गया।
●थावर चंद गहलोत ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा आरक्षण में बिना छेड़छाड़ के प्रावधान किया गया है। सवर्णों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए ये कदम उठाना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इस बिल ने ईसाई, मुस्लिम सभी को लाभ मिलेगा। निजी संस्थाओें में भी आरक्षण का प्रस्ताव है।
●नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में हार के बाद ही उन्हें (भाजपा) 4.5 साल बाद आरक्षण देने की याद आई। वास्तव में उनका आरक्षण देने का कोई इरादा नहीं है, अगर वह संसद में पारित नहीं होते हैं तो वे कहेंगे, ‘हमने कोशिश की , लेकिन संसद ने इसे पारित नहीं किया’
●केंद्रीय मंत्री थारवचंद गहलोत ने सवर्ण आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया। कांग्रेस, एनसीपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी ने बिल का समर्थन किया। जबकि समजवादी पार्टी ने इस बिल को पेश करने के तरीके का विरोध किया। डीएमके ने बिल का विरोध किया।
●लोकसभा में बिल पास करने के लिए सरकार को वर्तमान में कुल 523 में से 349 सांसदों का समर्थन चाहिए। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 244 में से 163 सदस्यों का समर्थन चाहिए। लोकसभा में 124वां संशोधन बिल पेश किया गया। सवर्ण आरक्षण संशोधन बिल पर कांग्रेस और बीएसपी ने समर्थन किया है।