बिहार डेस्कः बिहार में एनडीए सरकार ने एक साल पूरे कर लिये हैं। इस सरकार के कार्यकाल को भाजपा-जदयू ने सफल बताया है जबकि विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं।बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपना एक साल पूरा कर लिया है। गत वर्ष 26 जुलाई को जदयू और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई थी। भाजपा के साथ गठबंधन में लोजपा और रालोसपा पहले से शामिल थे। बीते एक साल में नीतीश सरकार ने जहां अपनी विकासवादी छवि को और निखारा है तो वहीं तंत्र से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए सुशासन का अस्त्र भी बखूबी चलाया है।राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। वैसे गठबंधन सरकारों में अक्सर कुछ समय बाद ही मतभेद उभरने लगते हैं, मगर बिहार में सीएम नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की केमिस्ट्री कुछ अलग है। दो अलग अलग दलों के इन नेताओं के बीच के सामंजस्य की वजह से एनडीए गठबंधन की यह सरकार बेहद लय में चलती नजर आयी है। अत्यधिक राजनैतिक सजगता वाले इस राज्य में गत 2005 से सत्ता संभालनके बाद से राजनीति के केंद्र में नीतीश कुमार हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुआई वाली मौजूदा सरकार ने सालभर की इस अवधि में बदलते हुए बिहार की तस्वीर देश के सामने पेश करने की कोशिश की है। बिहार जहां सड़कों का जाल बिछा है। बिजली उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा है। गंगा से लेकर कोसी, सोन और गंडक पर पुलों की शृंखला आकार ले रही है। बिहार में एनडीए की यह तीसरी सरकार है. इससे पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 और 2010 में एनडीए की सरकार बन चुकी है. 2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से नरेंद्र मोदी के बतौर पीएम उम्मीदवार की घोषणा होते ही नीतीश कुमार ने बीजेपी से साथ पुरानी दोस्ती तोड़ ली थी.