‘परिंदो को मिलेगी मंजिल एक दिन
ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं।
वही लोग रहते हैं खामोश अक्सर
जमाने में जिनके हुनर बोलते हैं।।’
लिखने वाले ने जब यह लिखा होगा तो जाहिर उसे यह अंदाजा रहा होगा कि जमाने की भीड़ से अलग चंद लोग ऐसे भी होंगे जिनके हुनर की रोशनाई से उम्मीदों की हर गली रोशन होगी। होगा कोई लाखों में एक जो खामोश रहकर सफलता की वो इबारत लिख जाएगा, जमाना जिसके हुनर पर शोर करेगा। 27 जुलाई 1973 को बांका जिले के एक छोटे से गांव उपरामा में एक बेहद हीं साधारण परिवार में जन्मे मधुरेन्द्र कुमार वही शख्सियत हैं जिन्होंने खामोशी से संघर्ष से सफलता का सफर तय किया और आज सफलता के सफर पर बढ़ने वाले हजारों छात्र-छात्राओं की राह रोशन कर रहे हैं ताकि मंजिल के सफर में नाउम्मीदी का अंधियारा किसी छात्र या छात्रा का सफर न मुश्किल कर दे। मुश्किल संघर्ष से हार जाने की पुरानी रवायत और शिक्षा को व्यवसाय बनाने की नयी रवायत, इन रवायतों को रौंद कर मधुरेन्द्र कुमार ने शिक्षा को व्यवसाय नहीं बनाया बल्कि बदलाव की जिद बना ली। हजारों मासूम आंखों में पलते ख्वाब और उसे मुकाम तक पहुंचाने की जरूरत को पहचानने वाले मधुरेन्द्र कुमार द्वारा संचालित संस्थान करियर प्वाइंट की भागलपुर शाखा आज टॉपरों की पहली पसंद है। शिक्षा के क्षेत्र में समाज को सकारात्मक बदलाव देने वाले मधुरेन्द्र कुमार की कहानी शब्दों में समेटना बिल्कुल नामूमकिन है लेकिन आज बेहद खास दिन है क्योंकि आज हीं दिन शैक्षणिक बदलाव की एक बड़ी उम्मीद जन्मी थी यानि आज के दिन हीं मधुरेन्द्र कुमार का जन्म हुआ था।पूर्वी बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने वाले मधुरेन्द्र आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. एक वक्त था जब छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारियों के लिए बिहार से बाहर जाना होता था, आज उन्हें वो सब कुछ बिहार के समार्ट सिटी भागलपुर में मिल रहा है. और इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ करियर पॉइंट भागलपुर के निदेशक डॉ मधुरेन्द्र को जाता है. उनकी इस उपलब्धि के लिए न जाने कितने सम्मान दिए जा चुके हैं, लेकिन उन्हें सबसे बड़ा सम्मान देश की जानी-मानी पत्रिका फेम इंडिया ने दिया. फेम इण्डिया ने अपनी पत्रिका में डॉ मधुरेन्द्र से जुड़े तमाम पहलुओं को लोगों के सामने रखा. उनके संघर्ष और उनकी उपलब्धियों को बताया. बेहद साधारण परिवार में जन्मे मधुरेन्द्र कुमार ने अपनी कड़ी मेहनत और लगनशीलता के बल पर देश के मशहूर नेतरहाट विद्यालय में दाखिला लिया. गणित में गहरी रूचि रखने के कारण उन्होंने प्रसिद्ध टीएनबी कॉलेज से 1996 में गणित विषय से बीएससी की डिग्री औऱ फिर तिलकामांझी विश्वविद्यालय से 2001 में एमएससी की डिग्री तथा वर्ष 2006 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावे इन्होंने इग्नू से पीजी डिप्लोमा इन रूरल डेवेलपमेंट की डिग्री और लॉ की भी डिग्री हासिल की है. शिक्षा को अपना कर्म और धर्म मानने वाले मधुरेन्द्र न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि व्यवसाय के क्षेत्र में भी नाम कमा चुके हैं. लेकिन शुरूआती दिनों से ही मधुरेन्द्र का एक सपना था कि एक ऐसी संस्था बिहार में भी हो जिससे छात्रों का उज्जवल भविष्य बनाया जा सके. आर्थिक तंगी से जूझ चुके मधुरेन्द्र जानते थे कि बिहार के छात्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन कुछ छात्र पैसों की कमी के कारण दूसरे राज्य पढ़ने जाने में असमर्थ हैं. वैसे छात्रों के भविष्य को उज्जवल और सही राह दिखने की सोंच के साथ, मधुरेन्द्र ने मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोटा के फेमस कोचिंग इंस्टिच्यूट करियर प्वाइंट की ब्रांच भागलपुर में खोलने का निर्णय लिया. इसका परिणाम है कि आज छात्र कम खर्च में ही मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी अपने घर में रहकर कर पा रहे हैं. आपको बताते चले कि शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगा रहे डॉ. मधुरेंद्र कुमार को हिंदुस्तान मीडिया वेंचर ने वर्ष 2016 में “प्राइड ऑफ भागलपुर” पुरस्कार से और प्रभात खबर ने “अंग गौरव सम्मान” से सम्मानित किया है. इसके अलावे भी समय-समय पर कई संस्थानों और संगठनों ने इन्हें पुरस्कृत किया है. अपनी सोंच, अपने संघर्ष और अपनी जिद से शख्स से शख्सियत बनने का जो सफर मधुरेन्द्र कुमार ने तय किया है आज उस शख्सियत को दुनिया सलाम करती हैं। ‘देश प्रदेश मीडिया’ भी समाज को ऐसी सकारात्मकदिशा देने वाले शख्सियत को सलाम करती है और आज उनके जन्मदिवस पर यह कामना करती है कि अपनी समृद्ध सोच से वो इसी तरह देश और समाज में शिक्षा की रोशनी बिखेरते रहें।