रिपोर्ट- मो.अंजुम आलम,जमुई (बिहार)
जमुई: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नामचीन कॉलेजों में शुमार जमुई जिले का गौरव कहे जाने वाला के.के.एम.कॉलेज अब छात्र-छात्राओं के लिए परेशानियों का सबब बन गया है।इसके अलावे कॉलेज कर्मी भी बदहाली की सजा भोग रहे हैं।जमुई जिले के नामचीन महाविद्यालय की बदहाली सरकार के उन तमाम दावों की पोल खोलती नजर आ रही है जिस दावों में सरकार सूबे में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का ढोल पीट रही है। अपनी बदहाली पर आंसू बहाता कॉलेज सिर्फ सरकार के ढोल की आवाजें सुन रहा है।के.के.एम.कॉलेज की बत्तर व्यवस्था को देख कॉलेज को अब शिक्षा की मंदिर कहने पर भी लोगों के दिल में संकोच पैदा हो रही है।
नहीं है पानी और बिजली की व्यवस्था,नहीं कि जाती है क्लास रूम की साफ-सफाई
के.के.एम.कॉलेज वह कॉलेज है जो पूरे तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में दूसरे नम्बर पर आता था।जबकि इसी कॉलेज के प्रिंसिपल भागलपुर में वाइस चांसलर भी रह चुके हैं।फिर भी कॉलेज की बत्तर स्थिति को देख सभी लोग सोंचने पर मजबूर हो जाते हैं।बताते चलें कि के.के.एम. कॉलेज की बदहाली का आलम ये है कि कॉलेज में छात्र-छात्राओं के लिए पीने का पानी नहीं है।शौचालय तो है लेकिन इस कदर गंदगी बिखरी पड़ी है कि शायद उस शौचालय में जाने के लिए जानवर भी परहेज करते होंगे।हालांकि कॉलेज के प्रोफेसर सहित कर्मी भी खुले में ही शौच के लिए जाने पर मजबूर हैं।बताते चलें कि कॉलेज की बदहाली इतना में ही नहीं खत्म होती है पूरे कॉलेज का बरामदा और क्लास रूम की एक दिन भी साफ-सफाई नहीं की जाती है महीना दो महीना में अगर सफाई भी की जाती है तो केवल खानापूर्ति कर कचड़े को क्लास रूम व बरामदे पर ही ढेर लगा दिया जाता है।
कॉमन रूम को बनाया गया गोदाम
छात्राओं के बैठने के लिए के.के.एम.कॉलेज में बना हुआ कॉमन रूम में अब छात्राओं के बैठने के लिए नहीं बल्कि उसे अब सीमेंट और टूटे बेंच-टेबल रखने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।छात्राएं हिम्मत कर कभी कॉलेज आती भी हैं तो उसे कॉलेज के बरामदा पर ही खड़ी होकर समय बिताना पड़ता है।और शौच के लिए छात्राओं को भी बाहर का ही रुख इख्तियार करना पड़ता है।प्रिंसिपल की लापरवाही इस कदर कॉलेज पर छाई हुई है कि अपने मनमानी से कॉलेज की दूर-दशा को बदहाल बना दिया है।इस कॉलेज में छात्र-छात्राएं कम और अब नशेड़ियों का अड्डा दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहा है।कॉलेज में तथाकथित लोग शराब,कोरेक्स,सिगरेट जैसे नशीले पदार्थ का सेवन करने का सेफ जोन मानने लगे हैं।अब तो छात्रों का रुझान भी के.के.एम.कॉलेज की तरफ कम होता दिख रहा है।जिसका दोषी कोई और नहीं बल्कि प्रिंसिपल है।
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बेपरवाह कॉलेज प्रशासन खस्ताहाल महाविद्यालय सुनो सुशासन बाबू आखिर कैसे पढ़ेगे बच्चे?
(गंदा टॉयलेट.चारों ओर जंगल )ये दृश्य है जमुई जिले के नामचीन के के एम कॉलेज का जहां हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं अपने भविष्य संवारने आते हैं।दरअसल,जमुई जिला मुख्यालय के नामचीन महाविद्यालय के के एम कॉलेज जो कभी सुविधा संपन्न होने के साथ-साथ अपने अतीत पर इतराया करता था।जहां के बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर भारतीय प्रशासनीक सेवाओं से लेकर राजनीतिक क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहे हैं।और तो और ये भागलपुर विश्वविद्यालय का वही कॉलेज है जहां के छात्र आज सात समंदर पार भारत का नाम रौशन कर रहे हैं।लेकिन आज वही महाविद्यालय अपनी बदहाली पर करुण रोदन कर रहा है।महाविद्यालय के मुख्य भवन में छात्राओं के लिए बने इस कॉमन रूम इस बात का तस्दीक कर रहा है कि कॉलेज में समस्याएं कितनी जटिल है।शिक्षा के इस मंदिर में गंदगी का आलम ये है कि यहां बैठकर पढ़ना तो दूर दो लफ्ज बातें करना भी छात्र-छात्राओं के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।