बिहार डेस्कः राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत माले कार्यकर्ताओं ने शहर में जुलूस निकाला और समाहरणालय के समक्ष रोषपूर्ण प्रदर्शन किया. माले कार्यकर्ता शराबबंदी कानून का पालन करने में भेदभाव बरतने का आरोप लगा रहे थे. उनका कहना था कि शराब के माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है. सिर्फ गरीब वर्ग के लोगों को ही परेशान किया जा रहा है. शराब के नाम पर उनके टोले में छापेमारी की जाती है.सरकार और प्रशासन के संरक्षण में शराब का कारोबार फल-फूल रहा है. डेढ़ लाख से अधिक गरीबों को जेल में बंद कर दिया गया. कार्यकर्ता शराबबंदी कानून में कथित काले प्रावधानों को रद्द करने और जेल में बंद गरीबों को बिना शर्त रिहा करने की मांग कर रहे थे. पूर्व में माले कार्यकर्ताओं का समूह जुलूस निकाला, जिसमें शामिल लोग सरकार और प्रशासन विरोधी नारे लगाते हुए विभिन्न स्थानों से होते हुए समाहरणालय के समक्ष पहुंचे, वहां प्रदर्शन किया. कलेक्ट्रेट के गेट के समीप माले नेताओं ने सभा कर कहा कि शराब की तस्करी मोटी कमाई का जरिया बन गया है. शराबबंदी कानून में सुधार के नाम पर माफियाओं को बचाने का षडयंत्र किया जा रहा है. कमजोर वर्ग के लोगों को सरकार आनन-फानन में कठोर सजा दे रही है. शायद ही किसी शराब माफिया को सजा दी गयी हो. यह भी कहा कि शराबबंदी कानून दलित-गरीब बंदी कानून बन गया है. जुलूस व प्रदर्शन में माले के स्थायी समिति सदस्य रामाधार, रामबली यादव, जिला सचिव श्री निवास शर्मा के अलावा प्रदीप कुमार, कुंती देवी, सत्येंद्र रविदास, विनोद कुमार भारती, वसी अहमद, हसनैन अंसारी, रेणु देवी, श्याम पांडेय समेत बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष कार्यकर्ता शामिल थे.