मो.अंजुम आलम,जमुई (बिहार)
जमुई:-गाय के नाम पर जहां एक ओर राजनीतिक गलियारों में सियासत गर्म है वहीं जमुई शहर स्थित गौशाला में चारा के बिना गायें भूखे मरने की कगार पर हैं। जिसका सुध लेने वाला ना तो यहां के जनप्रतिनिधि हैं और ना ही जिम्मेदार अधिकारी.
जिला मुख्यालय स्थित रामकृष्ण गौशाला में करीब 62 गौवंश की देखभाल की जाती है।जिसके लिए गौशाला के पास पर्याप्त आमदनी का जरिया भी है।गौशाला परिसर में बने भवन से करीब 30 से 35 हजार रुपए की आमदनी प्रति माह होती है। साथ ही गौशाला के भूमि में निर्मित विवाह भवन से भी सालाना करीब लाख रुपए तक आमदनी हो जाया करती है। साथ ही शहर के कई दान कर्ता भी गौशाला के नाम पर कुछ ना कुछ भेंट करते ही रहते हैं।इतना ही नहीं सरकार की ओर से भी गौशाला में अच्छी खासी राशि दी जाती है। इसके बावजूद इन बेजुबानों के लिए चारा का प्रबंध मुक्कमल नहीं हो पाता है।
बताते चलें कि गौशाला के अध्यक्ष जिले के एसडीओ साहब हैं।जबकि सचिव शहर के बिजनेस मैन राजू भलोटिया है जिनके ऊपर गौशाला चलाने की जिम्मेदारी है। लेकिन जब हमने गौशाला में गाय की सेवा करने वाले कर्मचारियों से यहां का हाल जाना तो सारी सच्चाई सामने आ गई। उनका कहना है कि यहां पिछले कई दिनों से गाय के लिए चारा नहीं है। जिसकी सूचना संबंधित अधिकारी से लेकर गौशाला संचालक तक को दे दी गई है। फिर भी गौवंश के लिए चारे की व्यवस्था नहीं की जा रही है।आगे कर्मचारियों की माने तो प्रतिदिन इन गायों के लिए कम से कम 800 बिचाली चारा जरुरी है। लेकिन पिछले 5-6 दिनों से इन्हें चारा नसीब नहीं हो पाया है।अगर किसी दिन चारे के इंतेज़ाम किया जाता है तो वो 800 की जगह महज 400 बिचाली पुआल ही दे कर छोड़ दिया जाता है।
वहीं आस पास के लोगों का कहना है कि भला हो सब्जी मंडी वालों का जो सब्जियों के बचे हुए पत्ते गौशाला में दे जाते हैं। जिससे थोड़ी बहुत राहत मिलती है।गौशाला में गायों की स्थिति काफी दयनीय है।भूख-प्यास से तड़प रही गायें इतनी कमजोर हो चुकी है कि सभी की पसलियां तक नजर आ रही है। हालांकि रामकृष्ण गौशाला में मौजूद गाय फिलहाल स्वस्थ्य तो है।लेकिन इनमें से कुछ कुपोषित भी हैं जिन्हें अगर जल्द चारा की व्यवस्था नहीं की गई तो वो समय दूर नहीं,जब ये बेजुबान काल के गाल में समा जाए।
कहते हैं अधिकारी
गौशाला की दयनीय और बदहाल स्थिति को लेकर जब संबंधित अधिकारी यानी एसडीओ साहब से मौजूदा हालात का जायज़ा लेने की कोशिश की गयी तो SDO साहब को भला इन बेजुबानों की क्या पड़ी उन्होंने कुछ भी बोलने से सीधा इनकार कर गए।फोन पर भी कुछ बताने से मुकर गए।