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सरकारी कुव्यवस्था के कारण अनुमंडल मुख्यालय तेघड़ा का पशु चिकित्सालय किसी भूतबंगला से कम नहीं दिखता। इतने बड़े भवन में एक आदेशपाल और एक रात्रि प्रहरी के अलावे कोई दुसरा नहीं दिखता। बताया जाता है कि भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी का पद करीब पाँच वर्षों से रिक्त पड़ा है। भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी पद का प्रभार यहाँ के प्रखण्ड पशुपालन पदाधिकारी के पास है। मालूम हो कि प्रखण्ड पशुपालन पदाधिकारी डॉ ललन कुमार को तेघड़ा के अलावे अन्य कई जगहों का प्रभार भी दिया गया है। वैसे भी डॉ ललन कुमार अपने विभागीय कार्यों को छोड़कर अन्य विभागों के कार्यों में ही ज्यादा व्यस्त रहते हैं। ऐसी परिस्थिति में तेघड़ा का पशु चिकित्सालय राम भरोसे ही चल रहा है। किसानों का आरोप है कि चिकित्सालय में न तो चिकित्सक मिलते हैं और न दवा उपलब्ध है। ईलाज की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण कई बार रोगग्रस्त पशुओं की जान खतरे में पड़ जाती है। वहीं इस चिकित्सालय में गर्भाधान की व्यवस्था भी वर्षों पूर्व से बन्द है। पशुधन पर्यवेक्षक भी नियुक्त नहीं हैं। कई किसानों ने बताया कि पशुओं की बीमा करने की व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसानों को बीमा के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।आलम यह है कि जरूरत मन्द किसान जब चिकित्सालय आते हैं तो वहाँ चिकित्सक नदारद रहते हैं। किसानों को वहाँ मौजूद आदेशपाल और अनुसेवक से ही बात करके संतोष करना पड़ता है। किसान नेता दिनेश सिंह, राजद नेता मोहित यादव, काँग्रेस नेता महेन्द्र कुँवर आदि ने जिलाधिकारी बेगूसराय से किसानों के हित में तेघड़ा पशु चिकित्सालय में चिकित्सक सहित सभी समुचित व्यवस्था शीघ्र मुहैया कराने की माँग की है।