मोरारी बापू ने शनिवार को राष्ट्रकवि दिनकर के जन्मस्थान का दर्शन कर अचानक से एक गरीब किसान के घर जा कर चाय पी एवं रोटी खाई
बिहार ब्रेकिंग-सुमित कुमार-बेगूसराय
सिमरिया राष्ट्रकवि दिनकर की धरती पर और भागीरथी गंगा तट पर कथा कहने और श्रवण करने का अद्भुत महत्व होता है। उक्त बातें बेगूसराय के सिमरिया गंगा तट पर आयोजित साहित्यिक महाकुंभ के दूसरे दिन रामकथा के दौरान कथा वाचक मोरारी बापू ने कही। उन्होंने दिनकर की रश्मिरथी, उर्वशी कविता पाठ करते हुए कहा कि दिनकर अपने आप मे महाकुंभ थे। उन्होंने आगे कहा कि उत्सव हमारी जाति है और मिथिलांचल उत्सवों का देश है। बीज को पौधा बनने के लिए धरा की जरूरत होती है, औऱ रोग मिटाने के लिए रामनाम की। क्रोध मनुष्य को इस कदर उद्विग्न कर देती है कि उसे हिंसा तक पहुंचा देती है। इंसान हमेशा ये मिल जाए वो मिल जाए की चाहत में भागता फिरता है। उन्होंने आगे कहा कि रामकथा परम् उत्सव है। परमात्मा का नाम जपते जपते आपको खुशी मिलनी शुरू हो जाएगी, पाप नष्ट होने लगेंगे। मोरारी बापू ने रामकथा के बीच मे ‘सिया राम कहियो, राजा राम कहियो’ भजन से मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं रामकथा में बाल्मीकि रामायण की चर्चा की गई। रामकथा में उन्होंने कहा कि जानकी जनक सुता है, जानकी दान है, यग्न बीच है। यग्न रूपा, दान रूपा है, तप रुपा है। बुद्धि शुद्धि का उपाय भगवतगीता से लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सीता और राम दिखते दो हैं लेकिन वास्तव में एक ही हैं। वहीं साहित्यिक महाकुंभ के दूसरे दिन रामकथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। सिमरिया गंगा तट पर आयोजित साहित्यिक महाकुंभ में बिहार समेत देश के अन्य हिस्सों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। रामकथा के दौरान पूर्व विधायक ललन कुंवर, भाजपा नेता सह अधिवक्ता अमरेंद्र कुमार अमर, अशोक सिंह, जदयू जिलाध्यक्ष भूमिपाल राय, आयोजक विपिन ईश्वर समेत अन्य लोग व्यवस्था आदि में तत्पर थे। वहीं मोरारी बापू शनिवार को सिमरिया ग्राम स्थित राष्ट्रकवि दिनकर के घर जा कर जन्मभूमि का दर्शन किए एवं गरीब किसान के घर अचानक पहुंच कर चाय भी पी और रोटी भी खाई।