आनंद कौशल, प्रधान संपादक, देश प्रदेश मीडिया
बिहार की बेटियां खुशनसीबी के मामले में सबसे आगे हैं। दरअसल बिहारी बेटियों की संवरी तकदीर ने बेटियों के साथ जुड़ने वाले बोझ शब्द को जमींदोज कर दिया है। नारी उत्थान को लेकर बिहार सरकार की नीतियों, उसके फैसलों और उनके क्रियान्वयन से बिहार में बेटियों की न सिर्फ तकदीर बदली है बल्कि तस्वीर और लोगों की सोंच भी बदली है। बोझ कहलाने को अभिशप्त बेटियों को सपने देखने की आजादी है, उम्र के हर पड़ाव को सरकार का सरंक्षण है। बेटियों और महिलाओं की हर दरकार के साथ सरकार खड़ी है। इसलिए यह तस्वीर और साफ नजर आ रही है कि महिला उत्थान के मामले में बिहार सबसे आगे है। इस बदलाव की अहमियत इसलिए ज्यादा है कि क्योंकि परिवार में लड़की पैदा हो जाये तो खास कर गरीब के घर में ख़ुशी से ज्यादा भय और चिंता नजर आने लगती है और सबसे बड़ी चिंता होती है उसकी शादी और शादी में होने वाले खर्च की मुख्यतः यही चिंता समाज में लिंग भेद और उपेक्षा का सबसे बड़ा कारण होता है। बेटे के जन्म को वरदान समझ कर उत्सव मनाते हैं वहीँ बेटी पैदा हो गयी तो अभिशाप के रुप में मातम का माहौल हो जाता है। बिहार में, सरकार महिला सशक्तिकरण की कई सकारात्मक योजनाएं सफलता पूर्वक लागू कर के बहुत हद तक समाज की इस भ्रान्ति को दूर करने में सफल रही है कि बेटी अभिशाप है। लड़की के जन्म से लेकर उसके पोषण, शिक्षा ,शादी तक महिला कल्याण की विभिन्न योजनाओं द्वारा सरकार करीब 54,100 रूपये अनुदान और सहायता के रूप में देती है। इसमें अंतर्जातीय विवाह के लिए मिलने वाला प्रोत्साहन योगदान शामिल नहीं है।
लड़की की शादी में होने वाली खर्च के बोझ को कम करने और इस चिंता से गरीब माँ बाप को थोड़ी राहत देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक सकारात्मक और प्रभावी पहल शुरू की मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना। इस योजना का उदेश्य गरीब परिवार को विवाह के समय आर्थिक सहायता प्रदान करना ,विवाह के निबंधन को प्रोत्साहित करना ,कन्या शिक्षा को प्रोत्साहित करना एवं बाल विवाह को रोकना है। इस योजना के तहत बी.पी.एल. परिवार तथा ऐसे अन्य परिवार जिनकी आय 60000/- रूपये सालाना तक हो ,कन्या को विवाह के समय 5000/- रूपये का भुगतान कन्या के नाम चेक /डिमांड ड्राफ्ट के द्वारा किया जाता है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना को सफलता पूर्वक लागू करने और इसे प्रभावी बनाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा लोक सेवा के अधिकार अधिनियम में शामिल किया गया है। प्रखंड विकास पदाधिकारी नामनिर्दिष्ट लोक सेवक घोषित किए गए गए हैं जिनके द्वारा निधि के उपलब्धता के 15 कार्यदिवस के अंदर योजना का लाभ लाभुक को उपलब्ध कराया जाना है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस योजना के कार्यान्वन हेतु कुल 1268.67 लाख रूपये का प्रावधान है जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए विशेष योजना घटक कुल 250 लाख रूपये तथा अनुसूचित जन जातियों के लिए कुल 307.10 लाख रूपये सन्निहित है।
महिला सशक्तिकरण और विकास की दिशा में एक और क्रन्तिकारी योजना सरकार द्वारा लागू की गयी अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन अनुदान योजना। समाज में जाति प्रथा को समाप्त करने, दहेज़ प्रथा को हतोत्साहित करने तथा छुआछूत की भावना को समाप्त करने के उद्देश्य से अंतर्जातीय विवाह करने वाली महिला को प्रोत्साहित करने के लिए यह योजना लागू की गयी है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा अंतर्जातीय विवाह करने वाली महिला को आर्थिक दृष्टि से सबल बनाने के लिए 1,000,00/- रूपये अनुदान के रूप में दिया जाता है प् अनुदान की ये राशि विवाह संपन्न होने के तीन महीने के भीतर संबंधित वधु को अधिकतम परिपक्वता राशि देने वाले बैंक में सावधि जमा प्रमाणपत्र के माध्यम से भुगतान किया जाता है, जिसकी अवरुद्धता की अवधि न्यूनतम तीन वर्ष की होती है। इस कार्यक्रम के सफलतापूर्वक संचालन के लिए सरकार के 2017 -18 के बजट में 700 लाख रूपये का प्रावधान किया गया। महिलाओं की सामाजिक ,आर्थिक ,राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रगति के लिए तथा उन्हें राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में लाने,भारतीय संविधान की प्रस्तावना,मौलिक अधिकारों,कर्तव्यों और राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांतों में लैंगिक समानता के सिद्धांत तथा राज्य सरकार के सुशासन के कार्य सूची में दी गयी सर्वोच्च प्राथमिकता के अनुरूप राज्य में बिहार राज्य महिला सशक्तिकरण नीति 2015 लागू की गयी। महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत स्वयं सहायता समूह के गठन ,पोषण और क्षमता निर्माण का कार्य राज्य के चिन्हित जिलों के प्रखंडों में संचालित किया जा रहा है। समाज के अभिवंचित निर्धन समुदाय की महिलाओं को समूहीकृत कर सर्वंगीण विकास एवं सशक्तिकरण के प्रति क्षमता विकास कर मुख्यधारा में शामिल करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यकलापों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ये भरोसा है कि स्वयं सहायता समूह महिलाओं को आत्मनिर्भर तथा संसाधन तक पहुँच के लिए सक्षम बनाने में सहायक हो सकते हैं। वहीँ दूसरी ओर आयवर्द्धक गतिविधियों के माध्यम से समूह से जुडी महिलाओं की आय वृद्धि करने के प्रति उन्हें प्रेरित किया जा सके ताकि उनके जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार हो सके।महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए उनके स्वयं सहायता समूह का गठन करना एवं पूर्व में गठित स्वयं सहायता समूहों का पोषण करने का सरकार द्वारा सफल प्रयास किया गया है। इसके अंतर्गत नए समूहों का गठन उन्हीं क्षेत्रों में किया जा रहा है जहाँ निगम द्वारा पहले से ही समूह बनाए गए हैं ताकि कोई भी महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्या बनने से वंचित न रह जाए , वहीँ पुराने समूहों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनका निरंतर पोषण करना तथा उनका बिहार स्वावलंबी अधिनियम 1996 के तहत स्वयं सहायता समूहों के महासंघ के रूप में पंजीकरण कराना भी महिला निगम का एक सार्थक और महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत महिलाओं में उद्यमिता प्रोत्साहन की दिशा में स्व दृनियोजन को ध्यान में रखते हुए प्रशिक्षण पर बल देने एवं व्यक्तिगत आयवर्द्धक गतिविधि को सुदृढ़ करने के लिए अवसरों का ज्ञान कराने पर विशेष बल दिया जाता है. इन समूहों को कारगर बनाने की दिशा में उनके लिए प्रशिक्षण ,उत्पादन एवं विपणन की आधारभूत सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उत्पादन और विपणन केंद्र स्थापित किया जाता है। बिहार में महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाये गए सरकार के कदम, चाहे वो कन्या के पैदा होने पर प्रोत्साहन राशि हो या पढने के लिए छात्रवृति ,पोशाक और साईकिल उपलब्ध कराने के लिए दी गयी सहायता राशि हो या फिर शादी ,नौकरी रोजगार के लिए अनुदान हो और साथ साथ नौकरी में 35 प्रतिशत और पंचायत चुनाव इत्यादि में 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था हो , महिलाओं में आत्मविश्वास भरने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अन्य राज्यों की तुलना में निःसंदेह बिहार को एक अलग पहचान दे अग्रिम पंक्ति में ला खड़ा करता है।
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February 23, 2023