बिहार डेस्कः ख्वाहिशें अक्सर इंसान को भगवान की चौखट तक ले जाती है। मन्नत मांगने लोग मंदिरों में जाते हैं और पूरी होने पर भगवान को प्रसाद स्वरूप फल या मिठाई चढ़ाते हैं। लेकिन बिहार के दरभंगा जिलें में स्थित कमतौल मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है। यहां मन्नत पूरी होने पर लोग बैंगन का चढ़ावा चढ़ाते हैं।।दूर-दूर तक यह मंदिर अपनी इसी विशेषता के लिए जाना जाता है कि इस मंदिर में पुजारी की भूमिका महिलाएं निभाती हैं। इस मंदिर को शाप मुक्ति स्थल भी कहा जाता है। सनातन धर्म में आस्था रखनेवाले और श्रीराम के भक्त दूर-दूर से इस मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। देवी अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं और बेहद आकर्षक व्यक्तित्ववाली खूबसूरत महिला थीं।एक बार स्वर्गलोक के देवता इंद्र देवी अहिल्या पर मोहित हो गए। इंद्र जानते थे कि देवी अहिल्या उनके वास्तविक रूप में प्रेम प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगी क्योंकि वह पतिव्रता स्त्री हैं। इसलिए जब गौतम ऋषि अपने आश्रम में नहीं थे, इंद्र गौतम ऋषि का वेश धारण करके आश्रम में पहुंच गए और देवी अहिल्या से प्रेम करने लगे। इंद्र जब उनकी कुटिया से निकल रहे होते हैं उसी समय स्नान करके गौतम ऋषि आ जाते हैं और अपनी कुटिया से इंद्र को उनके वेश में निकलते देख पहचान जाते हैं। क्रोधवश गौतम ऋषि इंद्र के मायावी रूप को नहीं पहचान पाने के कारण अपनी पत्नी को पत्थर की शिला बनने का शाप दे देते हैं। साथ ही इंद्र को शाप देते हैं कि उनका वैभव नष्ट हो जाए। इससे इंद्रलोक पर असुरों का अधिकार हो जाता है। अहिल्या भगवान राम के चरणों के प्रताप से शाप मुक्त हो जाती हैं।