रिपोर्ट- मो.अंजुम आलम,जमुई (बिहार)
जमुई: सदर अस्पताल के अस्थि रोग विशेसज्ञ डॉ. मनीषी अनंत ने विश्व एण्टीबायोटिक जागरूकता सप्ताह को लेकर एंटीबायोटिक दवाईयाँ के इस्तेमाल करने व उससे होने वाले नुकशान के बारे में जानकारी दी।उन्होंने बताया कि लोग सर्दी,खांसी,सर व गर्दन दर्द के लिए खुद दवा खरीद कर मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर खा लेते हैं जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।एण्टीबायोटिक दावा के लगातार दुरुपयोग से इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता तेज़ी से घट रही है।अधिकांश देखा जा रहा है कि एक साधारण सा वैक्टीरियल इन्फेक्शन भी अब सामान्य दवाओं से ठीक नहीं हो रहा है।जिस वजह से छोटी सी भी मर्ज के लिए अधिक दवाओं की आवश्यकता होती है।एन्टीमैक्रोबियल रेसिस्टेन्स और एन्टीबायोटीक रेसिस्टेन्स धीरे-धीरे इंसान को सूक्ष्मजीवियों के आगे भी लाचार बना रहा है।
चिकित्सक के सलाह से ही लें एंटीबायोटिक दवा
आप किसी भी एण्टीबायोटिक दवा की पहचान आसानी से कर सकते हैं।यदि दवा के पीछे लाल लाईन है तो संभल जाएं यह दवा आपके शरीर के पार्ट्स को कमज़ोर कर सकते हैं।दवा पर लाल लाईन के मतलब खतरे की निशानी है।बिना चिकित्सीय सलाह के अगर ये लाल लाईन वाली एंटीबायोटिक दवा का सेवन करते हैं तो यह घातक साबित हो सकती है।इन दवाओं पर लाल लाईन चिन्ह बनाना दवा निर्माता कंपनियों के लिए कानून बाध्यकारी भी है।
माँस, मछली और दूध में भी होती है एंटीबायोटिक की मात्रा
डॉ. मनीषी अनंत ने बताया कि दूध,माँस और मछली में एंटीबायोटिक जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होने से भी मनुष्य में एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स हो रहा है।जो मनुष्य के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम देता है।आज के दौर में जानवरों व मछलियों को वृद्धि के लिए ज़रूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है।जिसे मनुष्य द्वारा इस्तेमाल करने पर भी घातक साबित होती है।
आगे उन्होंने बताया कि व्यक्ति को अगर किसी तरह की परेशानी हो तो वो प्रमाणित चिकित्सक से ही सलाह लें और अपना एंटीबायोटिक का पूरा कोर्स खत्म करें चाहे वो ठीक क्यों नहीं हो जाए और साथ ही साफ-सफाई पर भी पूरा ध्यान दें।