
बिहार ब्रेकिंग-मंजेश कुमार-बेगूसराय

साधु संत हमेशा ही समाज की भलाई का काम करते हैं। साधु संतों का सानिध्य नसीब वालो को ही मिलता है। यह स्थल राजा जनक का तपस्थली है, इस जगह पर आने वाले लोग वाकई बहुत ही पुण्यात्मा हैं। उक्त बातें प्रखंड क्षेत्र के विशनपुर पंचायत अंतर्गत समसीपुर में स्थित गंगा तट पर आयोजित कल्पवास मेला के दौरान सभा को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि कल्पवास मेला कहीं शुरू किया जाता है लेकिन इस गंगा तट पर कल्पवास त्रेता युग से चला आ रहा है, यही वास्तविक कल्पवास है। यह बहुत ही सौभाग्य की बात है कि राजा जनक, माँ सीता और विद्यापति और उनके सेवक खुद महादेव जैसे भगवान इस जगह पर गंगा स्नान के लिए आते थे और आज हमलोग उस जगह पर हैं। उन्होंने कहा कि यहां के स्थानीय विधायक रामदेव राय इस कल्पवास मेला को राजकीय दर्जा दिलवाने के लिए जी जान से लगे हुए हैं और मैं भी आज आपको कह रहा हूँ कि इस गंगा तट को राजकीय दर्जा हरहाल में मिलेगा और जल्द ही दो साल भीतर ये कल्पवास मेला अर्ध कुम्भ का रूप ले लेगी। आज इस जिले में सिमरिया गंगा तट बिहार सरकार की नजर में है और सरकार उस गंगा तट को फंडिंग भी करती है। बहुत ही जल्द वह समय आने वाला है जब बिहार सरकार इस गंगा तट को भी फंडिंग करेगी। आज मैं राजा जनक के तपोस्थली पर साधु संतों और श्रद्धालुओं के संगम के बीच मौजूद हुये मेरे लिए गर्व की बात है। वहीं सभा को संबोधित करते हुए स्थानीय विधायक रामदेव राय ने कहा कि यह महज एक गंगा तट नहीं है यह राजा जनक का तपस्थली है, माँ सीता का पूजन स्थल है। यहां विद्यापति के साथ उगना के रुप मे खुद महादेव गंगा स्नान करने आते थे। ये तीर्थ प्रयागराज का है। धरती पर सबसे बड़ा धर्म गरीब, निसहाय का मदद करना है। साधु संत जहा है वही भगवान का वास है। सत्संग भागवत कथा का मतलब ही साधु संत होता है।
सत्संग का मतलब ये नही होता है कि हम सत्संग कर रहे है सत्संग का मतलब नन्हकी बाबा, पयहारीजी महाराज सत्यनारायण दास जी महाराज को ही सत्संग कहा जाता है। साधु, संत के दर्शन से हम सभी आज धन्य हो गए। मैं मेले को राजकिय दर्जा दिलाने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए हूं ताकि यहाँ आने वाले साधु संत और श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुविधा मिल सके। मैं ग्रामीण विकास मंत्री जी से अनुरोध करता हु की सरकार की नजर में इस चमथा कल्पवास मेले को उजागर किया जाय। यह कोई साधारण सौभाग्य नहीं है कि राजा जनक के तपस्थली गंगा तट और साधु संतों का संगम होता है। मैं यहाँ के स्थानीय लोगों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने कल्पवास मेला में आए श्रद्धालुओं का इस तरह से ध्यान रखे हैं। वहीं कल्पवास करने अयोध्या से आए सन्त नन्हकी बाबा ने कहा कि यह धरती मिथिलांचल की वह पावन धरती है जहां राजा जनक, माँ सीता और स्वयं महादेव आते थे। मैं और मेरा खालसा आज धन्य हो गया यह देख कर कि यहां के भक्त कितने उदार है। हम कृतज्ञ हैं यहां के स्थानीय लोगों का जिन्होंने इस कल्पवास मेला में आए श्रद्धालुओं का इतना ख्याल रख रहे हैं। यहाँ के स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधियों ने श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया है। सभा के बाद ग्रामीण विकास मंत्री ने साधु संत और श्रद्धालुओं के साथ गंगा आरती में भाग लिया। मौके पर श्रीराम राय, अमरजीत राय, श्रवण राय, रंजीत प्रसाद यादव, अनिल राय, रंजीत राय, रामकुमार राय, प्रभाकर कुमार राय, अमरेश कुमार राय, उदय राय मौजूद थे।