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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज कोशी प्रमंडल स्तरीय अति पिछड़ा कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल हुए। सहरसा के पटेल मैदान में आयोजित अति पिछड़ा सम्मेलन को लेकर बने मंच पर आयोजकों, स्थानीय नेताओं एवं जन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट करने के साथ ही फूलों की बड़ी माला पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस अति पिछड़ा सम्मेलन में आए लोगों का मैं विशेष रूप से धन्यवाद करता हूँ एवं उन्हें बधाई देता हूँ। उन्होंने कहा कि 2005 में हमने न्याय यात्रा की थी। न्याय के साथ विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है और उसको ही ध्यान में रखकर हमने काम किया है। न्याय के साथ विकास का मतलब समाज के हर तबके और हर इलाके का विकास है। समाज का जो हिस्सा विकास की मुख्यधारा से अलग है, जिन लोगों की उपेक्षा हुई है ऐसे लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष पहल की जा रही है। उन्होंने कहा कि गरीबी के कारण बिहार के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे थे जिसको देखते हुए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना प्रारम्भ की गयी। शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से इंटर के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए 4 लाख रुपये का स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड दिया जा रहा है। अगर किन्हीं कारणों से कर्ज लेने वाले विद्यार्थियों को जॉब नही मिलती है तो उस सूरत में हम उन्हें ऋण मुक्त करने का भी निर्णय ले सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नवंबर 2005 में सरकार बनने के बाद महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायत और नगर निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया जिसका नतीजा है कि आज 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं जीतकर लोगों की सेवा कर रही हैं। संविधान में महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण देने का प्रावधान है। बिहार में न्यायपालिका में भी अतिपिछड़े, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिलाओं सहित सबके लिए आरक्षण हो गया है। बालिकाओं को मिडिल और हाई स्कूल तक पहुंचाने के लिए हमने पोशाक योजना के बाद साइकिल योजना की शुरुआत की। इससे लड़कियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ। जब साइकिल योजना शुरू हुई तब 9वीं क्लास में पढ़नेवाली लड़कियों की संख्या 1 लाख 70 हजार थी जो अब बढ़कर 9 लाख के करीब हो गयी है। पोशाक योजना की राशि में भी बढोत्तरी की गई है। समूह में आज जब लड़कियां साइकिल चलाती हुयीं पढ़ने जाती हैं तो इससे लोगों की सोच और मानसिकता के साथ-साथ दृश्य में भी बदलाव दिखता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लड़की रहेगी तभी सृष्टि आगे बढ़ेगी। हमलोगों ने कन्या उत्थान योजना की शुरुआत की जिसके जरिये लड़की पैदा होने पर उसके माता-पिता के खाते में जन्म के समय 2 हजार रूपये, एक साल बाद आधार से जुड़ने पर 1 हजार रूपये और 2 वर्ष बाद सम्पूर्ण टीकाकरण होने पर पुनः 2 हजार रुपये देने की व्यवस्था सुनिश्चित की है। बेटी पैदा होने पर लोगों के मन में खुशी का भाव हो इसके लिये कई योजनाओं की शुरुआत की गई है। इंटर पास करनेवाली प्रत्येक अविवाहित लड़की को 10 हजार और ग्रेजुएट करनेवाली हर लड़की को 25 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। इस तरह जन्म से स्नातक पास करने तक एक लड़की पर राज्य सरकार 54 हजार 100 रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि हमारी चाहत है कि बाल-विवाह और दहेज प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगे। उन्होंने कहा कि पहले चंद सम्पन्न घरानों तक ही दहेज प्रथा सीमित थी लेकिन अब यह गरीब तबकों तक पहुंच गयी है। बाल विवाह के कारण कम उम्र में गर्भधारण करने से महिलाएं मौत की शिकार हो जाती हैं और उनसे जो बच्चे पैदा होते हैं वे मन्दबुद्धि, बौनेपन एवं अन्य कई प्रकार की बीमारियों की चपेट में आ जातें हैं जिनसे हमें छुटकारा पाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की मांग पर शराबबंदी लागू की गई इसलिए आप सभी को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है ताकि गड़बड़ी करनेवालों पर कार्रवाई हो सके। उन्होंने कहा कि चंद लोग जो विकृत मानसिकता के हैं वह गड़बड़ करने में लगे हैं इसलिए आप सभी मिलकर लोगों को समझाइये, उन्हें जागरूक कीजिये। सभी गांवों में बिजली के खम्भे पर टेलीफोन नम्बर अंकित कराये गये हैं जिसके माध्यम से आप गड़बड़ करनेवालों की सूचना दे सकते हैं। सूचना देनेवाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा और 3 घंटे के अंदर कार्रवाई होने पर सूचना देनेवालों से पूछा भी जाएगा कि कार्रवाई से आप सन्तुष्ट हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार की 89 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है और 76 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। हमारी सरकार बनने के 4 साल बाद ही वर्ष 2009 में विकास दर 10 के ऊपर चला गया। यह विकेन्द्रीकृत तरीके से काम करने का परिणाम है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हवाबाजी और बयानबाजी करने में लगे रहते हैं लेकिन हमारा विश्वास काम करने और लोगों की सेवा करने में है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाने एवं उनमें चेतना जगाने के लिए हमने विश्व बैंक से कर्ज लेकर जीविका योजना की शुरुआत की और आज सवा 8 लाख जीविका समूहों का गठन बिहार में हो गया है। मेरा लक्ष्य 10 लाख जीविका समूह गठित करने का है। जीविका समूह से अबतक 96 लाख से ज्यादा परिवार जुड़ चुके हैं। हमने गया में देखा कि जीविका समूहों से जुड़ी महिलाएं पढ़े-लिखे लोगों से भी ज्यादा बैंकिंग व्यवस्था को समझने लगी हैं। उन्होंने कहा कि पहले लालटेन और ढिबरी जलाकर लोग काम चलाते थे और रात के अंधेरे में उनके बच्चे घर से बाहर नहीं निकले इसलिए उसे भूत का भय दिखाकर परिजन डराते थे। अब बिहार के हर घर में बिजली पहुंचने से भूत भी भाग गया और लालटेन भी खत्म हो गया। अब अगले एक साल के अंदर जर्जर तारों को बदलने के साथ ही कृषि सिंचाई के लिए अलग कृषि फीडर उपलब्ध कराने का लक्ष्य ऊर्जा विभाग ने निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि हम सभी की शिकायतों और समस्याओं का निराकरण करते हैं और अपने खिलाफ अनाप-शनाप बोलनेवाले विरोधियों का भी सम्मान करते हैं। बिहार में अनाज का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि रोड मैप बनाया गया जिसके कारण धान, गेहूँ और मक्का की उत्पादकता में सौ फीसदी की बढोत्तरी हुई है। अब बिहार की उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से भी ऊपर चली गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने काम संभाला तो एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई कि साढ़े 12 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। उन्हें स्कूलों तक पहुंचाने का प्रयास शुरु किया गया और 27 हजार से ज्यादा नए स्कूल खोले गए, तीन से चार लाख शिक्षकों का नियोजन किया गया। स्कूलों से बाहर रहनेवाले बच्चों का सर्वेक्षण कराया गया तो पता चला कि महादलित और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की संख्या इसमें सबसे ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि स्कूल से बाहर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने के लिए महादलित टोलों में टोला सेवक को नियोजित किया। इसी तरह से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए तालीमी मरकज की व्यवस्था कर शिक्षा स्वयं सेवकों का चयन किया गया। अब स्कूल से बाहर रहनेवाले एक प्रतिशत से भी कम बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ों की ताकत को कोई चुनौती नहीं दे सकता। अतिपिछड़ों में इतनी जागृति आ रही है कि उन्हें कोई चुनौती नहीं दे सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के गरीब तबकों को फायदा पहुंचाने एवं हाशिये पर खड़े लोगों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए विशेष प्रयास और विशेष पहल की गई है। सरकारी छात्रावासों में रहनेवाले एससी/एसटी, अतिपिछड़े और अल्पसंख्यक बच्चों के लिए नौ किलो चावल, छह किलो गेंहू प्रति माह देने की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही पहले से मिल रही छात्रवृत्ति के अतिरिक्त ऐसे छात्रों को एक हजार रुपए महीना देने का निर्णय लिया गया। हमलोगों ने सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना चलाई है इसके तहत यदि कोई एससी/एसटी और अति पिछड़ा वर्ग का युवा बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा उतीर्ण करेगा तो अंतिम परीक्षा की तैयारी के लिए 50 हजार रूपये और संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर एक लाख रुपये का अनुदान उसे राज्य सरकार मुहैया कराएगी ताकि अंतिम परीक्षा के लिए तैयारी कर वे सफलता हासिल कर सकंे। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं की मांग पर ही हमने शराबबंदी लागू की। इसका सबसे ज्यादा लाभ गरीबों को मिला है जो अपनी गाढ़ी कमाई शराब में लुटा देते थे। हालांकि कुछ लोगों की मानसिकता गड़बड़ी करने की होती है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी हो रही है। शराबबंदी के कारण जिन परिवारों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या पैदा हुई है ऐसे परिवारों की पहचान कर उन्हें सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों व जीविका समूहों के माध्यम से वैकल्पिक रोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ऐसे परिवार को वैकल्पिक रोजगार के लिए 60 हजार से एक लाख रुपये तक की मदद दी जाएगी।
वैकल्पिक रोजगार शुरु करने के दौरान सात महीने तक एक हजार रुपये प्रतिमाह सरकार की ओर से दी जायेगी ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले जो इंदिरा आवास योजना चलाई जा रही थी अब वह प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण हो गयी है। लाभार्थी सूची में नाम होने के बावजूद जमीन नहीं होने के कारण कई लोग इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे लोगों को मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय योजना की शुरुआत कर 60 हजार रुपये जमीन खरीदने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि वे इस योजना का लाभ ले सकंे। इसके अलावा हमने यह भी तय किया कि 1996 के पहले इंदिरा आवास के तहत बने मकान जो ढह गए हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो गए हैं वैसे परिवारों को चिह्नित कर मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1.20 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी ताकि वे पुनः मकान बना सकें। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में सड़क बन गयी और सात निश्चय के तहत टोला संपर्क योजना के जरिये गांव के टोलों तक भी सड़क बनाने का काम जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम सांसद थे तो क्षेत्र में घूमने के लिए हमें प्रतिदिन 10-18 किमी तक पैदल चलना पड़ता था। हमलोगों ने मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना की शुरुआत की है जिसके तहत हर पंचायत में 4 से 10 लोगों के बैठने की क्षमता वाले पांच वाहनों की खरीद होनी है इसके लिए राज्य सरकार प्रति वाहन एक लाख रुपये का अनुदान दे रही है। इस योजना का लाभ लेने वालों में 3 अनुसूचित जाति और 2 अति पिछड़े समुदाय से होंगे। सम्मेलन में शामिल लोगों से आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी के बहकावे में नहीं आइये। आप सभी अपने बच्चों को पढ़ाएं और आगे बढ़ाएं। इसके लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि समाज में प्रेम, शांति, सद्भाव का माहौल कायम रखने का हरसंभव प्रयास कीजिए तभी विकास कार्यों का लाभ मिलेगा। लड़कियों के उत्थान के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं है। सम्मेलन में शामिल लोगों से हाथ उठाकर बेटे-बेटी को पढ़ाने का मुख्यमंत्री ने संकल्प दिलाया। सम्मेलन को ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, सहरसा जिले के प्रभारी एवं आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेश चंद्र यादव, अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, बिहार राज्य योजना पर्षद के सदस्य संजय झा, पूर्व मंत्री सह विधायक नरेन्द्र नारायण यादव, विधान पार्षद ललन सर्राफ एवं पूर्व सांसद सूर्य नारायण यादव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विधायक रत्नेश सदा, विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव, पूर्व सांसद रविन्द्र कुमार रवि, जदयू प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल, सहरसा जदयू जिलाध्यक्ष चंद्रदेव मुखिया, मधेपुरा जदयू जिलाध्यक्ष बिजेंद्र नारायण यादव सहित अन्य गणमान्य लोग, कार्यकर्तागण एवं कोशी प्रमंडल से आये हजारों की संख्या मंे अति पिछड़ा वर्ग के लोग मौजूद थे।