बिहार ब्रेकिंगः शिक्षा किसी भी समाज, सूबा और देश के विकास के लिए बुनियादी जरूरत है। शिक्षा के बिना विकास की कल्पना बेमानी है।बिहार पढ़ रहा है और बढ़ रहा है। रिपोर्ट बताती है कि बिहार शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कर रहा है। शिक्षा हीं नहीं कई दूसरे क्षेत्रों में भी बिहार का प्रदर्शन बेहतर है। ‘दैनिक भास्कर और एक्सएलआरआई’ की स्टडी रिपोर्ट कहती है कि बिहार और झारखंड के बंटवारे के बाद पिछले 18 वर्षों में बिहार की जनसंख्या में 2.11 करोड़ का इजाफा हुआ है, लेकिन सेक्स रेशियो में मात्र एक अंक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं चाइल्ड सेक्स रेशियो में 14 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है। आय बढ़ने की फीसदी में भी कमी देखी गई है।ग्रामीण जनसंख्या में .8 फीसदी घटी है। वहीं इस अवधि में झारखंड में 61 लाख आबादी बढ़ी, लेकिन सेक्स रेशियो में 7 और चाइल्ड सेक्स रेशियों में 17 अंकों की गिरावट हुई। बंटवारे के बाद झारखंड के लोगों की आय में 12.85 फीसदी की बढोतरी हुई है। लेकिन, इसी बीच ग्रामीण जनसंख्या में 1.75 फीसदी की कमी भी हुई है।आज झारखंड 18 वर्ष का हो गया। असीम ऊर्जा से भरे किसी नवबालिग युवा की तरह झारखंड विकास और समृद्धि के पथ पर न सिर्फ दौड़ रहा है, बल्कि उसकी गति उस 160 साल के बिहार से कहीं ज्यादा है, जिससे अलग होकर वह अस्तित्व में आया।
शिक्षा के क्षेत्र मे बिहार का बेेहतर प्रदर्शन
शिक्षा के क्षेत्र में देखें तो 2011-12 की हमारी साक्षरता दर 66.41ः बिहार की दर 61ः के मुकाबले काफी बेहतर है। मगर 2001-02 के आंकड़ों की तुलना करें तो बिहार में साक्षरता की दर में सुधार हमारी अपेक्षा काफी तेजी से हुआ है। यही नहीं, बिहार ने प्राइमरी शिक्षा में एनरोलमेंट तेजी से बढ़ाया है तो अपर प्राइमरी में बच्चों को ड्रॉप आउट भी रोका हैहां, सफाई, सेहत, उद्योग, पेयजल जैसे मामलों में झारखंड का प्रदर्शन बिहार से काफी बेहतर रहा है। झारखंड में न सिर्फ जीडीपी की वृद्धि दर बिहार से बेहतर है, बल्कि यहां 2001 से 2017 के बीच उद्योगों को बैंकों से मिला लोन भी बिहार की तुलना में ज्यादा है। ये आंकड़े बताते हैं कि झारखंड उद्योगों के लिए बिहार की तुलना में बेहतर माहौल तैयार कर रहा है।