
बिहार ब्रेकिंगः लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा के रंग न सिर्फ बिहार में या देश के दूसरे राज्यों मंे बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी छठ की छटाओं के तमाम रंग देखने को मिलते हैं। या फिर दुनिया के दूसरे मुल्कों में बसे लोग हिन्दुस्तान का आकर छठ करते हैं। लोक आस्था मुल्क हीं नहीं मजहब की दीवार भी लांघ जाती है। इस यकीन को पुख्ता करती है औरंगाबाद की नजमा की कहानी। मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाली नजमा लगातार आठ वर्षों से छठ पूजा करती हैं।

इनकी कई मन्नतें भी पूरी हुई हैं।अरवल जिले के चैरम निवासी महमुदीन मंसूरी की पत्नी नजमा खातून छठ पूजा की तैयारियों में लीन हैं. यह मुस्लिम परिवार संतान सुख की प्राप्ति के लिए छठ पर्व आस्था और भक्ति के साथ करता रहा है. नजमा बताती हैं कि उन्होंने करीब आठ वर्ष पहले छठ की शुरुआत की थी, लेकिन बीच में तीन वर्षों के लिए छूट गया था.आठ वर्ष पूर्व उनकी कोई संतान नहीं थी. चिकित्सक से दिखा कर हार गयीं फिर देवकुंड आकर छठ पर्व करते हुए संतान की अभिलाषा रखी. छठी मइया ने उसकी फरियाद सुन ली और बड़ी बेटी फरजहा ने जन्म लिया. दूसरी बार व्रत किया तो रेहाना का जन्म हुआ. तब से वह इस पर्व को लगातार करते आ रही हैं.