
बिहार ब्रेकिंगः छठ के बारे में यह सब जानते हैं कि यह हमारी लोक आस्था का प्रतीक है। इसलिए इसे लोक आस्था का पर्व भी कहते हैं। छठ की छटा के हर रंग से हम रूबरू होते रहे हैं, छठ के विधि-विधान से भी अवगत हैं और छठ पर पूरे वातावरण में भक्तिमय गीतों की जो गूंज सुनायी देती है, वह यह बताता है कि छठ का महत्व क्या है। इन तमाम जानकारियों के बाद अगर आपने पत्रकार कुमार रजत की उन लाइनों को नहीं पढ़ा जिसमें उन्होंने बताया है कि आखिर यह छठ क्यों जरूरी है तो फिर यकीन मानिए छठ की छटा अधूरी है आपके लिए। छठ जैसे महापर्व को लेकर यह सवाल तो बड़ा वाजिब है कि आखिर यह छठ क्यों जरूरी है? पटना में एक अखबार समूह से जुड़े कुमार रजत ने तकरीबन 2 साल पहले एक कविता लिखी थी जिसका शीर्षक था यह छठ जरूरी है। कुमार रजत की यह कविता इतनी वायरल हुई कि छठ करीब आते हीं हर सोशल सोशल मीडिया पर वो लाइनें शेयर होनी लगती है। लोग डिजिटल दुनिया की जो विसंगति है काॅपी-पेस्ट उसका सहारा लेते हैं लेकिन वो लाइने छठ पर खूब शेयर होती है। स्पोर्ट्स जर्नलिज्म से पत्रकारिता शुरू करने वाले कुमार रजत एक दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता में है और अच्छा लिखते हैं। उनकी दूसरी कविताएं भी खूब पसंद की जाती है लेकिन छठ पर लिखी उनकी यह कविता जो इस महापर्व की पहचान भी बनी है ठीक उसी तरह जैसे छठ के कुछ गीत इस महापर्व की पहचान हैं। आप भी पढ़िए क्या है कुमार रजत की यह कविता। आपके लिए वीडियो भी पोस्ट है जिसमें आप कुमार रजत की इस कविता का आनंद ले सकते हैं।
यह छठ जरूरी है …
यह छठ जरूरी है धर्म के लिए नहीं समाज के लिए
हम आपके लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं
उन बेटों के लिए जिनके घर आने का यह बहाना है
उस मां के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं।
यह छठ जरूरी है उस परिवार के लिए जो टुकड़ों में बंट गया है।
यह छठ जरूरी है उस नयी पौध के लिए जिसे नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर होता है।
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में देखा है।
यह छठ जरूरी है उस परंपरा को जिंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है, जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है।
जो सिर्फ उगते सूर्य को नहीं डूबते सूर्य को भी सलाम करता है।
यह छठ जरूरी है गागर, निंबू और सूथनी जैसे फलों को जिंदा रखने के लिए, यह छठ जरूरी है सूप और दौरा बनाने वालों के लिए, उन्हें यह बताने के लिए कि समाज में उनका भी महत्व है।
यह छठ जरूरी है उन दंभी पुरूषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं। यह छठ जरूरी है बहुत जरूरी है।
