
बिहार ब्रेकिंगः बिहार की सियासत का इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही है कि रालोसपा की दोस्ती क्या बीजपी से बरकरार रहेगी या फिर एनडीए से याराना टूट जाएगा। उपेन्द्र कुशवाहा के बयानों और मुलाकातों में कई बार विरोधाभास दिखता है। वे नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं लेकिन मुलाकात तेजस्वी यादव से होती है। वे एनडीए में हैं लेकिन अपनी हीं सरकार को शिक्षा के सवाल पर घेरते रहे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा अपनी हीं गठबंधन वाली सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को सन्यास की सलाह दे चुके हैं। बिहार की राजनीति में मौजूदा वक्त में उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर एक कन्फयूजन है। यह कन्फयूजन उनके बयानों और उनकी राजनीतिक सक्रियता से पनपता है। यह कन्फयूजन कई मायनों में उनकी पार्टी के अंदर भी है। इसलिए यह कयास अब तक कयास हीं है कि उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन खेमे का रूख करेंगे या नहीं। इस कन्फयूजन से उन दलों में एक खीझ भी पैदा हो रही है जो उपेन्द्र कुशवाहा का पलक पांवड़े बिछाए इंतजार कर रहे हैं। उन्हें अपने राजनीतिक खेमे में आने का निमंत्रण दे रहे हैं।

यह खीझ सामने भी आ चुकी है। राजद के कद्दावर नेता शिवानंद तिवारी यह कह चुके हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा अपने फायदे की राजनीति करते हैं। हम उनका महागठबंधन में स्वागत करने को तैयार हैं लेकिन उनके लिए हमेशा फूल माला लेकर खड़े नहीं रहेंगे। इधर सवाल यह भी है कि अगर उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन खेमे का रूख करते हैं तो इस खेमे में भी सियासी रार बढेगी क्योंकि तब यहां भी मामला यही होगा कि त्याग कौन करेगा। उपेन्द्र कुशवाहा कितनी सीटों की अपेक्षा लेकर महागठबंधन में आएंगे और अगर यह डील डन भी हुई तो फिर क्या महागठबंधन के घटक दल इस त्याग के लिए तैयार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक उपेन्द्र कुशवाहा की खीर पकती नहीं दिख रही है। चूल्हे की तपिश ठंडी पड़ रही है वजह है कांग्रेस ने उपेन्द्र कुशवाहा की महत्कांक्षाओं पर पानी फेर दिया है। कांग्रेस ने एक तरह से उपेन्द्र कुशवाहा के लिए लक्ष्मण लकीर खींच दिया है। कांग्रेस ने यह स्पष्ट किया है कि उपेन्द्र कुशवाहा महागठबंधन में आएं तो स्वागत है लेकिन कांग्रेस अपनी सीटांे से उपेन्द्र कुशवाहा के लिए समझौता नहीं करेगी।
क्या कहती है कांग्रेस
राजद गठबंधन में आधा दर्जन से अधिक दलों के बीच सीटों को लेकर मारामारी है. इनके बीच उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा को भी आमंत्रित किया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि उपेंद्र महागठबंधन में आएं तो उनका स्वागत होगा, लेकिन अंदरूनी तौर पर पार्टी उनके लिए अपने कोटे की सीटें नहीं छोड़ना चाहती.रालोसपा के महागठबंधन में शामिल होने पर छोटे-छोटे दलों के टिकटों की संख्या भी घटेगी, जो उनको मंजूर नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए गठबंधन में सीट को लेकर असमंजस बरकरार रखते हुए तमाम संभावनाएं खुली रखी हैं.