बिहार डेस्क-राजेश लहरी-कैमूर
पश्चिम बाजार भभुआ के जायसवाल दुर्गापुजा कमिटि के साठ साल पुरे होने के बाद इस बार कुछ अलग तरह से पुजा मनाने का फैसला किया गया। ये पुजा कमिटि सत्तर अस्सी के दसक में एक अलग ही मुकाम हासिल किया था सबसे बड़ी इस कमिटि का बिशेषता यह रही है। ये पुजा एक जायसवाल परिवार के द्वारा किया जाता है ना किसी से चन्दा लिया जाता है ना ही किसी से आर्थिक सहयोग लिया जाता है और आशर्चय यह है कि जब से गंगा मे सर्वाह करने कि मना किया गया तब से पास के ही जगदहवा डैम में विर्शजन किया जाता है नही तो प्रयाग बनारस हरिद्वार, अयोध्या गंगा सागर, गौमुख, गंगोत्री तक विशर्जन किया जाता रहा है। इस पुजा का सुरुआत पांच भाईयो के द्वारा शुरुआत किया गया बड़े भाई स्व. मुरली प्रसाद जायसवाल, राधेप्रसाद जायसवाल, मोहन जायसवाल, श्रीनाथ जायसवाल कृष्णा प्रसाद जायसवाल आज के तारीख में चार भाईयों का तो मृत्यू हो गया है लेकिन आज उनके परिवार के दुसरी पीढ़ी के शिव शंकर प्रसाद जायसवाल, नागेन्द्र प्रसाद जायसवाल, सत्येन्द्र जायसवाल, रमेश कुमार जायसवाल उर्फ भण्टु, राकेश जायसवाल, धीरज जायसवाल, नारायण जायसवाल, गोपाल जायसवाल, मनीष जायसवाल, सन्नी जायसवाल, मनोज जायसवाल, धर्मेन्द्र जायसवाल के द्वारा पुजा का निर्माण पुजा किया जाता है जब कि इस पुजा कैमूर मे अव्वल दृष्टी से देखा जाता है। जिस तरह से इन परिवार के द्वारा इस पुजा का आयोजन किया जाता है वो देखते बनता है वर्तमान मे इस पुजा का तकनिकि बेव्स्था, पुजा का टोटल सजावट का रुप रेखा दोनो सगे भाई संजय जायसवाल, तथा भन्टु जायसवाल के जिम्मे होता है इस पुजा में पैसे का अभाव नही होता क्यों कि ये परिवार बेव्यसाईक है और भभुआ नगर में एक स्थान माना जाता है सबसे बड़ी खासियत यह होती है तीन दिन के पुजा मे पंडाल के अन्दर अलग अलग डिजायन के सजावटे होती है, मां इन सभी को बनाये रखे ताकि ये परम्परा आगे तक बढ़ती रहे और लोगो को साल मे एक बार इनलोग के द्वारा एक अच्छा पंडाल, पुजा और विसर्जन का झांकी देखने को मिलता रहे।