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वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से आयोजित संवाद कार्यक्रम को शनिवार की शाम पटना उच्च न्यायालय पटना के अधिवक्ता एवं WJAI की स्वनियामक इकाई WJSA के विधिक सदस्य किंकर कुमार ने संबोधित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने भारतीय संविधान में पत्रकारिता एवं डिजिटल मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया से जुड़े कानूनों की चर्चा की और पत्रकारों को उनके अधिकारों और बंदिशों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि आज के समय में पूरे विश्व में डिजिटल मीडिया खबरों के संकलन और पाठकों तक पहुँचाने का सबसे मजबूत माध्यम है। डिजिटल मीडिया के पास तेजी से खबर लोगों तक पहुँचाने के साथ ही इंटरनेट के माध्यम से कई अलग प्लेटफ़ॉर्म भी मौजूद है। डिजिटल मीडिया के माध्यम से रियल टाइम में खबरें आमलोगों तक पहुँचाया जा सकता है। यह डिजिटल मीडिया के साथ ही आमजनों को भी खबरें पाने और अपनी बातें रखने का माध्यम है इतना ही नहीं इस माध्यम में अब क्षेत्र या भाषा बाधक नहीं बन पाती है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया तेज जरुर है लेकिन इसे संपादन से जरुर गुजरना चाहिए। कई बार ऐसा देखा जाता है जल्दी और सबसे पहले के चक्कर में लोग खबरों की सत्यता परखे बिना ही कुछ भी पोस्ट कर देते हैं जो कई बार समाज के लिए हानिकारक होता है। ऐसे में भारत के संविधान में कई नियम समाहित किये गए हैं।
भारतीय संविधान पत्रकारिता में भी गलत चीजों पर लगाम लगाने के लिए कई नियम कानून हैं। संविधान का अनुच्छेद 19(1) ए सभी लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है जबकि 19(2) इसमें कुछ विराम भी लगाता है जिसके तहत भारत की एकता, सुरक्षा, सामाजिक स्थिरता, मानहानि इत्यादि शामिल है। तो हम कह सकते हैं कि हमें अभिव्यक्ति की आजादी तो है लेकिन हम किसी भी तरह का भ्रम फ़ैलाने या किसी को हानि पहुँचाने के लिए मुक्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए कहता है कि कुछ मुलभुत ड्यूटी हैं जो कि भारत के सभी नागरिकों को निभाना चाहिए। इसी के तहत वेब पत्रकार भी पहले भारतीय नागरिक हैं तो उनकी भी जिम्मेदारी है कि वे संविधान के नियमों का पालन एक अच्छे नागरिक की तरह करना चाहिए। वेब पत्रकार जब कोई भी खबर पब्लिश करते हैं तो उन्हें इस के लिए जिम्मेदारीपूर्वक खुद ही जांच करना चाहिए कि खबर की सत्यता और उसका असर क्या और कितना है।
उन्होंने कहा कि वेब पत्रकारों के लिए भारतीय संविधान में सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट 2000 बनाया गया है जो हमें हमारी जिम्मेदारियों के बारे में बताता है। यह एक्ट न सिर्फ वेब पत्रकारिता को कंट्रोल करता है बल्कि हर तरह के पत्रकारिता समेत सोशल मीडिया उपभोक्ताओं पर लागू होता है। इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट का धारा 67 किसी भी प्रतिबंधित चीजों को पब्लिश करने के लिए दंड निर्धारित करता है। जबकि धारा 9 सरकार को यह पॉवर देता है कि वह किसी भी चीजों की जांच कर सकती है। इसके साथ ही वर्ष 2021 में भारत सरकार ने डिजिटल मीडिया के लिए एक गाइडलाइन्स भी लाया जिसके तहत डिजिटल मीडिया को कई तरह की गाइडलाइन्स के पालन के लिए प्रेरित करता है। इसके तहत डिजिटल मीडिया को ग्रीवांस रेड्रेस करना होगा और अगर उनकी किसी भी खबर पर अगर किसी उपभोक्ता को को आपत्ति होती है तो वे उसका निराकरण करेंगे। ग्रीवांस का निराकरण कई स्तर पर होता है जिसमें सबसे पहले खबर पब्लिश करने वाले की जिम्मेदारी होती है उसके साथ ही देश में कई एसोसिएशन है जिन्होंने स्वनियामक इकाई बनाया है और वे भी अपने सदस्य डिजिटल मीडिया के खबरों पर आपत्तियों का निराकरण करेंगे।
डिजिटल मीडिया पब्लिशर को कॉपीराइट का ध्यान भी रखना काफी आवश्यक होता है। कॉपीराइट संविधान में दिया गया एक ऐसा अधिकार है जो किसी भी मटेरियल के निर्माता को यह अधिकार देता है कि अगर बिना अनुमति कोई उनकी चीजों का प्रयोग कर रहा है तो कोर्ट उन्हें सजा दे सकता है। संवाद कार्यक्रम के दौरान स्वागत भाषण WJAI की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ लीना ने की जबकि कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय महासचिव डॉ अमित रंजन और धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल ने किया। संवाद कार्यक्रम में WJAI सचिव मधूप मणि पिक्कू, कोषाध्यक्ष मंजेश कुमार, कार्यालय सचिव अकबर इमाम, बिहार प्रदेश अध्यक्ष बालकृष्ण, प्रदेश महासचिव नमन मिश्रा सहित तमाम अधिकारी, सदस्य समेत कई अन्य पत्रकार और पत्रकारिता के छात्र वर्चुअल माध्यम से जुड़े।