बिहार डेस्कः बिहार की राजनीति एनडीए में सीटों को लेकर मचे घमासान की वजह से गर्म है। अक्सर यह सवाल सामने आ जाता है कि क्या नीतीश कुमार बीजेपी से किनारा कर लेंगे? इन सवालों के बीच महागठबंधन खेमे से कुछ बयान सामने आ जाते हैं जो पहले से गर्म बिहार की राजनीति की तपिश बढ़ा देते हैं। बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने पहले यह साफ किया कि महागठबंधन में नीतीश कुमार की नो इंट्री है। उसके बाद बिहार के पूर्व सीएम और महागठबंधन के घटकों में से एक हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा कि राजनीति संभावनाओं का खेल है और यह फैसला महागबंधन की समन्वय समिति की बैठक में होगा। फिर कांग्रेस का बयान सामने आया। मीडिया रिपोर्टस के हवाले से बिहार कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष का यह बयान सामने आया कि यह तो नीतीश कुमार को तय करना है कि वे साम्प्रदायिक शक्तियों के साथ रहेंगे या उनका विरोध करेंगे। इन तमाब विवादों, कयासों और बयानों से बिहार की राजनीति के केन्द्र में एक सवाल आकर खड़ा हो गया है कि क्या नीतीश कुमार को लेकर महागठबंधन में शामिल दलों की राय अलग-अलग है। पूरे मामले पर ‘देश प्रदेश मीडिया’ के समाचार संपादक अभिषेक मिश्रा ने फोन पर बातचीत की बिहार बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अफसर शम्सी से। उन्होंने कहा कि महागठबंधन चार लोगों का पांच गुट है और चुचु का मुरब्बा है। महागठबंधन में शामिल दलों की राय एक नहीं है और बेगाने शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी हालत है। अफसर शम्सी ने कहा कि पहले भी ऐसे प्रयोग राजनीति में असफल साबित हुए हैं जो महागठबंधन करने की कोशिश कर रहा है। देश की जनता ने मन बना लिया है 2019 का चुनाव पूरी तरह से बीजेपी और एनडीए के पक्ष में होगा। सीटों के सवाल पर बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए में सीटों को लेकर कोई विवाद नहीं है। सीटों का फैसला संसदीय समिति करेगी।