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राज्य में सुशासन के बावजूद कोर्ट के आदेश की अवहलेना खुलेआम की जा रही है। बताया जा रहा है कि मामला अभी पटना उच्च न्यायालय में लंबित है। मामले में कोर्ट ने आदेश दिया था कि अगले आदेश तक इस मामले में कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जाए लेकिन हाई कोर्ट के आदेश की अवहलेना सरेआम की जा रही है।
मामला है बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी से जुड़ा एक निविदा का। बताया जा रहा है कि बिहार राज्य हेल्थ सोसाइटी की तरफ से सरकारी अस्पतालों में पैथोलॉजी टेस्ट और अन्य सेवाओं के लिए निविदा निकाली गई थी। बताया जा रहा है कि पीओसीटी नामक कंपनी पिछले पांच वर्षों से कार्यरत थी। इस दौरान कंपनी को कई बार एक्सटेंशन भी दिया गया था। वर्ष 2024 के निविदा में साइंस सिटी नामक एक कंपनी ने सबसे कम दाम की बोली लगाई लेकिन अलग अलग रेट कोट की वजह से उसकी निविदा रद्द कर दी गई और हिंदुस्तान वेलनेस के पक्ष में घोषणा कर दी।
मामले में साइंस सिटी ने हाई कोर्ट में टाइपो गलतियों का सहारा लेते हुए निविदा रद्द करने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर किया है। कंपनी ने मामले में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है। इसके साथ ही पीओसीटी ने भी निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। बिहार राज्य हेल्थ सोसाइटी पर लगे आरोपों पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी बी बजंतरी ने किसी भी नई व्यवस्था लागू करने पर रोक लगा दी साथ ही अगली सुनवाई के लिए 31 जनवरी की तिथि तय की। हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद नई कंपनी ने काम शुरू कर दिया है।