
स्विगी, जोमैटो और अमेजॉन के डिलीवरी वर्कर्स ने किया एकदिवसीय हड़ताल, पटना में सेवाएं ठप। स्विगी और जोमैटो ने हड़ताल को कमजोर करने के लिए दिया इंसेंटिव का प्रलोभन, फिर नहीं माने डिलीवरी वर्कर्स।
बिहार ब्रेकिंग

गिग वर्कर्स एसोसिएशन (GIGWA) और अमेजॉन इंडिया वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर राजधानी पटना के डिलीवरी वर्कर्स ने एकदिवसीय हड़ताल की। इसमें स्विगी, जोमैटो, अमेजॉन जैसी कई कंपनियों से जुड़े हजारों डिलीवरी वर्कर्स शामिल हुए। हड़ताल के कारण पटना के प्रमुख इलाकों जैसे बोरिंग रोड, पाटलिपुत्र, सगुना मोड़, कंकड़बाग, और अन्य क्षेत्रों में डिलीवरी सेवाएं ठप रहीं।
हड़ताल और धरने को रोकने के लिए कंपनियों ने कई प्रयास किए। जोमैटो ने डिलीवरी ड्राइवर्स को 2500 रुपये की आमदनी और 300 रुपये के स्पेशल इंसेंटिव का लालच दिया, जबकि स्विगी ने 275 रुपये का बोनस देने की पेशकश की। इसके बावजूद डिलीवरी वर्कर्स अपनी मांगों पर अडिग रहे। शहर भर में कई रेस्टोरेंट्स और ई-कॉमर्स कंपनियों के ऐप्स पर “डिलीवरी बाय उपलब्ध नहीं” का मैसेज पूरे दिन दिखता रहा।
डिलीवरी वर्कर्स ने गर्दनीबाग स्थित बिरसा मुंडा चौक पर धरना दिया और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी की। उन्होंने गिग श्रमिकों के लिए एक न्यूनतम वेतन तय करते हुए स्थिर रेट कार्ड लागू करने, साल में दो बार महंगाई दर के अनुसार रेट कार्ड में वृद्धि सुनिश्चित करने, गिग वर्कर्स को ईएसआई (ESI) और पीएफ (PF) की सुविधा देने के साथ श्रमिकों के लिए दुर्घटना सुरक्षा का कानून बनाने की मांग की। इसके अलावा गिग वर्कर्स के लिए एक केंद्रीय कानून लागू करने की मांग की और कहा कि सभी गिग वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। कंपनियों, गिग संगठनों और सरकार के प्रतिनिधियों को मिलाकर त्रिपक्षीय बोर्ड का गठन किया जाए। कंपनियों द्वारा डिलीवरी वर्कर्स के कार्ड ब्लॉक करने की एकतरफा प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। Login Hours के आधार पर डिलीवरी वर्कर्स के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाए।
गिग वर्कर्स एसोसिएशन के बिहार प्रभारी अभिषेक कुमार ने बताया कि कंपनियों ने पुलिस की मदद से हड़ताल को रोकने की कोशिश की। वर्कर्स को धमकाया गया, लेकिन सभी श्रमिक अपनी मांगों को लेकर अडिग रहे। अमेजॉन इंडिया वर्कर्स यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने इस हड़ताल को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि गिग वर्कर्स को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संगठित होने और संगठन बनाने का मौलिक अधिकार है। कंपनियों ने इस अधिकार पर भी चोट पहुंचाने की कोशिश की।
अभिषेक कुमार ने कहा कि डिलीवरी वर्कर्स 12-14 घंटे तक काम करते हैं और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इसके बावजूद उन्हें सामाजिक सुरक्षा, बीमा या दुर्घटना सुरक्षा जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। गिग वर्कर्स ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो यह आंदोलन और बड़े स्तर पर किया जाएगा। यह हड़ताल गिग अर्थव्यवस्था में काम कर रहे लाखों श्रमिकों के अधिकारों और सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस संबंध में पत्र बिहार के मुख्यमंत्री और श्रम संसाधन मंत्री को देने की भी बात कही।