पटना नगर निगम की बैठक और घोषणाओं के बाद डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन के लिए लगाए गए होर्डिंग को देखकर आपके भी होश उड़ जाएंगे। आपको लगता होगा कि आखिर ये क्या कह रहा हूं.लेकिन इस खबर को पढ़ने से ज्यादा इस होर्डिंग को पढ़ना बहुत जरुरी है, इस बोर्ड को देखने पर आपको खुद ही पता चल जाएगा कि होर्डिंग जो लगा हुआ है उसमें लिखा तो ठीक गया है मगर जितने भी फोटो हैं वो सारे के सारे उल्टे प्रस्तुत कर दिया गया है।होर्डिंग का अर्थ होता है समाज को सही दशा दिशा देना मगर इस होर्डिंग ने तो नगर निगम और उसके द्वारा जारी होर्डिंग पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। इस होर्डिंग में केवल विभाग के लोगो को सही तरीके से दिखाया गया है लेकिन इसमें इंगित सारी तस्वीरें उल्टा प्रदर्शित कर दी गई है। क्या इस होर्डिंग को इसी रुप में दिखाना उद्देश्य है या फिर गलती हुई है। अगर गलती हुई है तो इसमें सुधार होनी चाहिए।सब्जी बाग से पार्षद अजफर अहमद ने इस घटना की कड़ी निंदा की है कमिशनर नगर निगम से इस घटना के विरूद्ध सख्त करवाई करने का आग्रह किया है. आमतौर से ऐसी प्रक्रिया तब सामने आती है जब किसी भी विभाग के द्वारा एडवेटाइजर के साथ मतभेद की स्थिति हो। विभिन्न एडवेटाइजर और एजंसी विज्ञापन दाता के बैनर उल्टा उन्हें अपमानित करने एवं अपना आक्रोश प्रदर्शित करने के लिए ऐसी प्रक्रिया को अपनाते हैं। किंतु मुख्यमंत्री द्वारा अभी डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन तथा कई विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास किया गया लेकिन इधर दो दिन के अंदर इस तरह के मनभेद होना असंभव प्रतीत होता है। इससे पहले भी देखा गया है निगम के द्वारा विज्ञापन एजेंसियों के द्वार कार्रवाई की जा रही थी तो उस समय एडवेटाइजरों के द्वारा मुख्यमंत्री की तस्वीरों के साथ कई होर्डिंग लगाए गए थे ताकि निगमकर्मियों के बीच भय की स्थिति उत्पन्न हो। कहीं ऐसा तो नहीं की विपक्ष द्वारा मुख्यमंत्री की छवि के साथ भी खिलवाड़ करने की साजिश हो। उनके पोस्टर को देखकर मेरा मानना है कि जो कि प्रतीत भी हो रहा है कि वो पटना के साथ बिहार की गरिमा को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं।