बिहार ब्रेकिंग
बिहार ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म और लोकतंत्र के उद्भव की धरा है। मंगल पाण्डेय स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार द्वारा रचित पुस्तक “आरोग्य पथ पर बिहार जन स्वास्थ्य का ‘मंगल’ काल” स्वास्थ्य संदर्भ में पुस्तक विमोचन के लिए आज हम एक महत्वपूर्ण अवसर पर एकत्रित हुए हैं। “आरोग्य पथ पर बिहार” मंगल पाण्डेय के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में व्यक्तिगत अनुभवों का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि यह बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति का भी एक दर्पण है। यह पुस्तक दूरदर्शिता, जुनून, साहस और समर्पण के साथ कठिन कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न करने की यात्रा का एक विवरण है।
29 जुलाई, 2017 से अब तक (बीच में एक संक्षिप्त अंतराल के बाद), बिहार की जनता की आवश्यकताओं को दृष्टि में रखकर, इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सक्षम नेतृत्व में बिहार की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में आमूलचूल सुधार करने के लिए जो अथक प्रयास किए हैं, जो मनोयोग और प्रतिबद्धता दर्शाई है, वह सराहनीय है। राजनीतिक जीवन की आपाधापी के बावजूद एकाग्रता, दृढ़ता और निष्ठा से चुनौतियों को स्वीकारते हुए पाण्डेय ने बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई पहचान दी है। आज बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था के क्षेत्र में जो वांछित परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं, उसका मुख्य श्रेय नेतृत्व के साथ पाण्डेय को जाता है।
‘सबको गुणवत्तापूर्ण इलाज’ के लक्ष्य के साथ पाण्डेय ने विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए नीतिगत व्यवस्था की नींव डाली है। बिहार के हर व्यक्ति के लिए राज्य में ही उन्नत स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों और उन्हें इलाज के लिए राज्य से बाहर अन्य राज्यों में न जाना पड़े। पाण्डेय के कार्यकाल में न केवल प्राथमिक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, बल्कि जिला और राज्यस्तरीय संस्थानों, जैसे-चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पतालों की संख्या में भी प्रभावी बढ़ोतरी हुई है। नए और आधुनिक संस्थानों की स्थापना के साथ-साथ अनुमंडलीय और जिला अस्पतालों सहित मौजूदा स्वास्थ्य इकाइयों में भी सुविधाओं का विस्तार हुआ है। पाण्डेय जानते हैं कि सिर्फ इमारतों से किसी संस्थान का निर्माण नहीं होता है। यही कारण है कि प्रारंभ से ही इन्होंने कुशल और सक्षम व्यक्तियों का चयन, पर्याप्त साधन और उचित तकनीक की उपलब्धता पर जोर दिया है।
राज्य में शिशु व मातृ मृत्यु दर के आँकड़े हों या जनसंख्या नियंत्रण, हर मोर्चे पर बेहतर परिणाम मिले। पहली बार करीब 30 हजार डॉक्टरों, पारामेडिकल स्टाफ सहित अन्य स्टाफ की भर्ती की गई। दवाओं की पहुँच व उपलब्धता में सुधार किया गया। आज बिहार दवा पहुँच व उपलब्धता के मामले में पूरे देश में पिछले तीन माह से पहले स्थान पर है । बिहार में मुफ़्त दवा वितरण योजना के अंतर्गत 109 दवा वितरण वाहन की व्यस्था की गई है जिससे राज्य स्तर से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर तक सभी दवाओं की उपलब्धता की जा रही है। टीकाकरण के मामले में बिहार लगातार आगे बढ़ रहा है। पिछले माह बिहार प्रथम स्थान पर रहा। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु 1000 नए टीकाकरण केंद्र खोले गए हैं।
स्वतंत्र बिहार के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक साथ 1,000 एंबुलेंस खरीदी गईं, इसमें 534 एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस और 466 बेसिक लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस थीं। इस प्रयास के परिणामस्वरूप, अगस्त 2017 से जून 2022 तक लगभग 67 लाख रोगियों को निःशुल्क एंबुलेंस सेवा का लाभ मिला है। इससे स्वतः स्पष्ट है कि गंभीर रोगियों के समय पर अस्पताल पहुँचने से मृत्यु दर में काफी कमी आई है।
वर्ष 2005 से पहले प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या प्रति माह 39 थी, जो बहुत कम थी। वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में यह संख्या बढ़कर प्रति माह 10 हजार से अधिक हो गई। यह आंकड़ा स्वास्थ्य सेवाओं पर जनता के बढ़े विश्वास का प्रमाण है। इस विश्वास के कारण अन्य राज्यों के उच्च केंद्रों में विशेष सेवा की तलाश में मरीजों का पलायन भी काफी हद तक रुक गया है।
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बनने की ओर अग्रसर है। वर्ष 2000 में झारखंड के गठन के बाद बिहार का अपना कोई मानसिक रोग अस्पताल नहीं था। आज बिहार राज्य मानसिक स्वास्थ्य एवं सहबद्ध विज्ञान संस्थान कोईलवर (भोजपुर) जनता को समर्पित हो चुका है। बिहार में 1.55 करोड़ परिवार के लगभग 3 करोड़ 70 लाख लोगों को आयुष्मान कार्ड दिया जा चुका है। यह खुशी की बात है कि आयुष्मान कार्ड बनाने में बिहार पूरे देश में तीसरे स्थान पर है। जो बहुत जल्द दूसरा स्थान पर आ जाएगा। इस योजना के तहत अभी तक बिहार में लगभग 2100 करोड़ रुपए ईलाज पर खर्च हुए। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सोच गरीबों की सेवा है, जो अभी तक आयुष्मान योजना के प्रयासों से प्रतिविम्बित हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं नीतीश कुमार के प्रयासों से पूरे देश और राज्य में 70 वर्ष से अधिक आयु वाले सभी वर्गों के लाभार्थियों को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा मिले इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आयुष्मान वय वंदना योजना शुरू की गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और पाण्डेय के प्रयासों से बिहार में बाल हृदय योजना शुरू किया गया। बाल हृदय योजना से अब तक 1640 बच्चों का जान बचाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेते हुए पाण्डेय ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को सुदृढ़ करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। आयुष संस्थानों में सुविधाओं के विकास, सेवाओं के विस्तार और सीटों एवं संकायों की संख्या बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य व्यवस्था की क्षमता को मजबूत करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है। आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व और मंगल पाण्डेय के प्रयासों से बिहार की स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था की उत्तरोत्तर प्रगति की यात्रा जारी रहेगी।