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सीतामढ़ी जिले में लोक आस्था का महापर्व छठ के खरना की रात से ही भाई-बहन के अटूट प्रेम के प्रतीक और मिथिलांचल के प्रसिद्ध त्योहार सामा चकेवा शुरू हो गया। सीतामढ़ी जिले डुमरा प्रखंड में बहनें सामा चकेवा खेलती नजर आई। कातिक पूणिमा के दिन इसका समापन होता है। बहनें अपने भाईयों को नए धान के चूड़ा के साथ दही खिलाकर समापन करती हैं। बहनें भाई के दीर्घायु होने की कामना करती है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है।
बहनें सामा-चकेवा, सत्यभइया, खड़रीच, चुगिला, वृद्धावन आदि की प्रतिमा बनाती है। गीत के बाद बनावटी वृद्धावन में आग लगाती। चुगला संठी से निर्मित को गालियां देते हुए उसकी दाढ़ी में आग लगाती हैं। कातिक पूणिॅमा के दिन बेटी की विदाई जैसी डोली सजा कर सामा चकेवा का विसर्जन किया जाता है।