बिहार ब्रेकिंगः मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपी को बचाने के लिए बयान से पलटना मंहगा पड़ सकता है। कार्रवाई हो सकती है और बयान से पलटने वाले के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत है और रेप पीड़िता अगर अपने बयान से पलटकर आरोपी को बचाने का प्रयास करती है तो पीड़िता के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘क्रिमिनल ट्रायल का मकसद सच सामने लाना है। पूछताछ कैसी हो यह हर केस और उसके तथ्यों पर निर्भर करते है। किसी को निर्दोष मानने और पीड़िता के हक के बीच संतुलन जरूरी है। आरोपी या पीड़ित किसी को यह अनुमित नहीं है कि वह झूठ बोलकर क्रिमिनल ट्रायल को पलट दे और कोर्ट को मजाक का विषय बनाए। किसी को भी यह अनुमति नहीं होगी कि वह अपने बयान को पूरी तरह पलटते हुए मुकर जाए और क्रिमिनल ट्रायल या न्याय व्यवस्था का मजाक बनाए।श् बेंच ने आगे कहा है कि अगर कोई पीड़ितध्पीड़िता न्यायिक प्रक्रिया को पलट देने के लिए अपना बयान बदल देता है तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा। सच सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। सबूत होने के बावजूद किसी के दबाव के चलते बयान बदलना स्वीकार्य नहीं होगा।दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने यह बात 2004 के एक रेप मामले की सुनवाई करते हुए कही है। 2004 में हुए के रेप मामले में पीड़िता मात्र नौ साल की थी और उसकी मां ने एफआईआर दर्ज कराई थी। उसी दिन पीड़िता का मेडिकल चेकअप कराया गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी किया, जिसे पीड़िता ने पहचाना भी। छह महीने बाद कोर्ट के सामने पीड़िता और मुख्य गवाह (पीड़िता की बहन) ने रेप की बात को नकार दिया और कहा कि जो चोट लगी थी, वह गिरने की वजह से थी। ऐसे में ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया।हालांकि, गुजरात हाई कोर्टने इस फैसले को पलट दिया और रेप पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया। दोषी करार दिए जाने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन याचिका खारिज कर दी गई।सबूतों को देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, श्पीड़िता का परिवार गरीब था और वह उसके कुल पांच भाई-बहन हैं। रेप उस समय हुआ जब वह भैंस चराने गई थी। छह महीने बाद रेप पीड़िता ने अपना बयान बदल दिया। ऐसे में हमारा भी मानना है कि गुजरात हाई कोर्ट ने जो तर्क दिए हैं कि आरोपी ने कैसे भी करके पीड़िता को बयान पलटने पर मजबूर किया होगा, सही हैं।श् बेंच ने आगे कहा, श्अगर कोई पीड़ितध्पीड़िता न्यायिक प्रक्रिया को पलट देने के लिए अपना बयान बदल देता है तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा। सच सामने लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।