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2027-28 तक महाराष्ट्र राज्य का लक्ष्य भारत की पहली ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है। साथ ही 2070 तक देश के नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को भी हासिल करना है। ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों ने राज्य को पारंपरिक शासकीय अथवा सार्वजनिक स्रोतों से परे वित्तपोषण विकल्पों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया है। निजी निवेश और मिश्रित वित्त जैसे अभिनव वित्तीय संसाधनों को जलवायु कार्यों के वित्तपोषण के लिए प्रमुख संचालक माना जा रहा है।
शुक्रवार को WRI इंडिया के सहयोग से राज्य जलवायु कार्रवाई प्रकोष्ठ (SCAC) द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यशाला ‘Climate Finance Access and Mobilization Strategy for Maharashtra (2024-30)’ उक्त चुनौतियों पर केंद्रित रही। विषय पर आयोजित कार्यशाला राज्य के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक व्यापक Resource Mobilization Strategy (RMS) तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
महाराष्ट्र के लिए जलवायु-अनुकूलन रणनीतियों के बारे में बात करते हुए महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) के सीईओ प्रवीण परदेशी ने कहा: “कृषि क्षेत्र अब सौर ऊर्जा की ओर अग्रसर है और कई बैंकिंग संस्थान इस उद्देश्य के लिए ऋण सुविधाएँ प्रदाय करने में रुचि रखते हैं। शहरों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाना और प्रकृति-आधारित समाधान बनाना कुछ अन्य रणनीतियाँ हैं। इसके अलावा, ऐसी रणनीतियों और परियोजनाओं के लिए सार्वजनिक सहमति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।”
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के निदेशक अभिषेक आचार्य ने सभा को ऑनलाइन जुड़कर संबोधित करते हुए कहा: “हमें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन गतिविधियों में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी की आवश्यकता है। अनुकूलन के क्षेत्र में नवीन वित्तीय संसाधन निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी जुटाने में मदद कर सकते हैं।”
महाराष्ट्र के राज्य जलवायु कार्रवाई प्रकोष्ठ के निदेशक अभिजीत घोरपड़े ने जलवायु वित्त स्रोतों को जुटाने की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए कहा: “हाल ही में तैयार महाराष्ट्र के राज्य जलवायु परिवर्तन कार्ययोजना में जलवायु वित्त पर एक अध्याय समावेशित किया गया है, जो अंततः जलवायु बजट के निर्माण में परिणत होगा। वर्ष 2023-24 में उम्मीद है कि हमारे संसाधनों का 11.95% जलवायु कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा, इसे सालाना 5% बढ़ाने की योजना है, ताकि 2030 के अंत तक बजट का 50% जलवायु बजट हो। योजना के अनुसार 2024-30 की अवधि के लिए राज्य में जलवायु वित्त के रूप में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इसे आगे बढ़ाने के लिए हम WRI इंडिया के सहयोग से Climate Finance Access and Mobilization Strategy (2024-2030) पर काम कर रहे हैं।”
डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ माधव पई ने कहा, “डब्ल्यूआरआई इंडिया महाराष्ट्र के लिए Climate Finance Access and Mobilization Strategy (2024-2030) तैयार करने में राज्य जलवायु प्रकोष्ठ को तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है। महाराष्ट्र में Climate Finance Access and Mobilization Strategy (2024-2030) के संचालन के लिए क्षेत्र-विशिष्ट रणनीतियों और योग्य परियोजनाओं को विकसित करने की आवश्यकता है। जलवायु कार्यों हेतु राशि जुटाने के लिए राज्य में क्षेत्रीय के साथ अन्य फाइनेंस सुविधाएं विकसित करने की आवश्यकता है।”
जलवायु कार्यक्रम, WRI इंडिया की कार्यपालन निदेशक उल्का केलकर गाडगिल ने कहा कि महाराष्ट्र जलवायु संबंधी कार्यों में सबसे आगे है, इसकी जीवंत अर्थव्यवस्था जलवायु पहलों को लागू करने और वित्तपोषित करने के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। राज्य की जलवायु वित्त आवश्यकताओं और स्रोतों की पहचान की गई है, फिर भी कुछ चुनौतियों को निष्पादित किये जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे जलवायु वित्त के उदाहरण देते हुए कहा कि सबसे पहले हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निजी वित्त पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र में स्थानांतरित न हो जाए। दूसरा, जलवायु वित्त के लिए विकास वित्त संस्थान और अन्य वित्त संस्थाएँ जलवायु संबंधी परियोजनाओं को राज्य एजेंसियों और गैर-शासकीय संस्थाओ की क्षमता को मजबूत करने के लिए सहयोग कर सकती हैं। तीसरा, जैसे-जैसे हम शासकीय बजट में जलवायु वित्त को मुख्यधारा में लाते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपलब्ध निधि को विस्तारित किया जाए।