बिहार डेस्क- रवि शंकर -मोकामा
बिहार की शुबे की सरकार लाख दावे करती हो कि हमारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह दुरुस्त है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। हम बात कर रहे हैं मोकामा नगर परिषद स्थित वार्ड नंबर 5 के रामकृष्ण रुद्रावती उच्च विद्यालय की जहां शिक्षा प्रदान करने के लिए सुंदर भवन बड़े बड़े कमरे कुर्सी टेबल सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं इस विद्यालय में मौजूद है। विद्यालय नवमी दशमी और इंटरमीडिएट टेन प्लस टू की व्यवस्था भी है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। टेन प्लस टू में कुल 30 विद्यार्थी का नामांकन है जिसमें ना तो विद्यार्थी आते हैं और ना ही शिक्षक। टेन प्लस टू में 8 टीचर हैं जिसमें 2 टीचर डिक्टेशन पर रहते हैं बाकी कक्षा में एक-दो ही प्रतिदिन विद्यालय आते हैं जिसके कारण ना तो विद्यालय चलता है और ना ही बच्चे आते हैं। कमोबेश वही हालत नौवीं और दसवीं की कक्षा में भी है। आलम तो यह है की टीचर द्वारा नौवीं के छात्र से पंखा फिट कराया जाता है टीचर को इतनी भी डर नहीं लगता कि पंखा लगाते समय छात्र के साथ किसी प्रकार की अनहोनी हो जाती है तो बच्चे क्या करेंगे। बच्चों को पंखा लगाने का टास्क दिया जाता है और बच्चे भी शिक्षक की बात मानकर पंखे लटकाने में लग जाते हैं।
इस बाबत जब विद्यालय के प्रभारी से बात की गई तो प्रभारी ने अपने बच्चों को ही पहचानने से इंकार कर दिया। प्रभारी प्रभारी ने यहां तक कह डाला कि पंखे लगा रहे हैं बच्चे मेरे विद्यालय के है ही नहीं। बड़ी सवाल उठती है कि आखिरकार बच्चे को किसी प्रकार का कोई समस्या उत्पन्न हो जाता है तो जो शिक्षक लगाने के लिए कहते हैं वह पहचानते तक नहीं। वहीं कई कमरे होने के बावजूद एक ही कमरे में बच्चे की पढ़ाई होती है हालांकि नौवीं और दसवीं क्लास में कुल 600 बच्चे का नामांकन है लेकिन बमुश्किल 50 बच्चे ही रोजाना आ पाते हैं। वही शिक्षक भी अन्य शिक्षकों की उपस्थिति नहीं होने पर रोना रोते हैं।
सारी सुविधाओं होने के बावजूद भी अगर शिक्षा व्यवस्था नहीं चलती है तो बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है साथ में टीचरों की लापरवाही के कारण किसी बड़ी घटना को निमंत्रण दिया जाता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार इसकी शिकायत की गई लेकिन किसी प्रकार का कोई सुनवाई नहीं हुआ। शिक्षक आते तो है लेकिन हाजिरी बनाकर अपने घर को चले जाते हैं यही है बिहार की शिक्षा व्यवस्था।