बिहार ब्रेकिंगः बिहार की राजनीति में और उबाल आ सकता है। बीजेपी-जेडीयू के बीच तल्खी बढ़ सकती है क्योंकि बीजेपी एक कद्दावर नेता नीतीश सरकार के खिलाफ धरना पर बैठने वाले हैं। यह नेता हैं पूर्व केन्द्रीय मंत्री सीपी ठाकुर। जानकारी के मुताबिक बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ धरना देने का एलान कर दिया है. बीजेपी नेता ने कहा कि 6 सितंबर को आयोजित भारत बंद के दौरान बेलागंज में प्रशासन की तरफ से निर्दोष लोगों के साथ किए गए अत्याचार के खिलाफ 7 अक्टूबर को वे गया में धरना देंगे.जिन लोगों को मुकदमा में बेवजह फंसाया गया है, उनसभी के मुकदमा को खत्म कर देना चाहिए. इसमें छोटे-छोटे बच्चों को भी गिरफ्तार किया गया है. बच्चियों और महिलाओं को तंग किया गया है. यह सरासर अनुचित है.’’ उन्होंने कहा कि वे सभी अपने हक के लिए लड़ रहे थे. वे कोई अपराधी तो थे नहीं. इसलिए सरकार उसे जितनी जल्दी हो छोड़ दे.इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सवर्णों को भी आरक्षण मिलना चाहिए. आज बड़े संख्या में ऐसे सवर्ण हैं जो गरीब हैं, सरकार इन गरीब सवर्णों के लिए कुछ करे. उन्होंने कहा कि आरक्षण का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है. कमजोर लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए. इसपर सरकार व्यापक रूप से विचार करे.पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गरीब, गरीब होता है फिर चाहे सवर्ण हो या पिछड़े वर्ग या दलित समुदाय का हो. जरूरतमंद लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. देश की आजादी की लड़ाई और देश के विकास में सभी वर्गों का बराबर का योगदान रहा है. इसलिए किसी वर्ग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. जो गरीब और पिछड़ी जाति के लोग हैं उन्हें आरक्षण देकर मुख्यधारा में लाना चाहिए. लेकिन जो अगड़ी जाति में आर्थिक रूप से पिछड़े हैं उन्हें भी सभी की तरह मुख्यधारा से जोड़ना चाहिए.

लाठीचार्ज दुर्भाग्यपूण-ठाकुर
सीपी ठाकुर ने कहा कि 21 सितम्बर को सवर्ण नवयुवक और बच्चों की तरफ से पटना में निकाले गए शांतिपूर्ण मार्च पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है. उस शांतिपूर्ण मार्च में सभी पढ़ने-लिखने वाले बच्चे शामिल थे. वे सभी अपने भविष्य के लिए लड़ रहे थे. वे सभी बिना कोई अशांति किए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए जा रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसी प्रकार का हिंसा नहीं कर रहे थे, उन पर बिना किसी पूर्व चेतावनी के लाठीचार्ज किया गया. इस वजह से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस लाठीचार्ज से पहले पानी का फब्बारा या आंसू गैस के गोले छोड़ सकती थी. लेकिन ऐसा करने के बजाय प्रदर्शनकारियों पर अमानवीय और विद्वेष की भावना से लाठीचार्ज किया, यह सरासर अनुचित है.