
आईपीएम तकनीक को अपनाकर रासायनिक कीटनाशक के अंधाधुंध इस्तेमाल को कम कर वातावरण और मनुष्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किये जाने पर दिया गया बल
बिहार बेकिंग डेस्क

भारत सरकार के अधीन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, पटना द्वारा सोमवार (09.10.2023) को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना में पाँच दिवसीय आई.पी.एम. ओरिएंटेसन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ, जो 13 अक्टूबर 2023 तक संचालित किया जाएगा।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा अनूप दास, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर एवं अन्य विशिष्ठ अतिथियों डा अंजनी कुमार सिंह, निदेशक, अटारी, आईसीएआर, पटना एवं डा एस पी सिंह, निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान का केंद्र के प्रभारी अधिकारी सुनील सिंह, वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा दीप प्रज्वलित का किया गया।
मौके पर डा अनूप दास, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना ने आईपीएम के महत्व एवं उसके उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आईपीएम तकनीक को अपनाकर रासायनिक कीटनाशक के अंधाधुंध इस्तेमाल को कम करके वातावरण और मनुष्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किये जाने पर बल दिया। उन्होंने फसल उत्पादन में फसल चक्र अपनाने एवं खरपतवार नियंत्रण के बारे मे बताया।
वही डा अंजनी कुमार सिंह, निदेशक, अटारी, आईसीएआर, पटना ने बताया कि किसान जानकारी के अभाव में रासायनिक कीटनाशक का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं जिससे मनुष्यों मे तमाम तरह की बीमारियां जैसे कैंसर इत्यादि बहुत तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए हमे किसानों को जागरूक करना है कि रासायनिक कीटनाशको का सुरक्षित एवं संतुलित इस्तेमाल करें और मौसम अनुकूल खेती की तकनीक के साथ फसल उत्पादन से सबंधित नई तकनीक के बारे मे बताया। जबकि डा एस पी सिंह, निदेशक, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने बताया कि हम किसी भी कीट को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते इसलिए आईपीएम तकनीक अपनाकर हमे कीटों कि संख्या ई टी एल के नीचे रखना है, कृषि उत्पाद के निर्यात एवं वायरस से होने वाली बीमारियों के नियंत्रण हेतु हमे उनके वाहक कीटों को नियंत्रित करना जरूरी हैं।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी सुनील सिंह, वनस्पति संरक्षण अधिकारी, द्वारा निदेशालय का परिचय देते हुये इसके विभिन्न विभागों की जानकारी दी गई। उन्होंने मौके पर आई.पी.एम. तकनीक के महत्व, सिद्धान्त तथा इसके विभिन्न आयामों, आई. पी. एम. तकनीक को अपनाकर खेती की लागत कम करने के बारे में किसानों को निर्यात उन्मुखी खेती करने के लिए प्रेरित करने हेतु राज्य सरकार के कर्मचारियों को विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम में पाँच दिनों के दौरान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पटना, कृषि विज्ञान केंद्र, शिवहर, डा० राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा विभिन्न विषयों जैसे- आई. पी. एम. तकनीक, खरीफ फसलों की कीट व्याधि का प्रबंधन, खर पतवारों का प्रबंधन, सब्जियों का कीट व्याधि प्रबंधन, सर्वेक्षण, निगरानी और पूर्व चेतावनी जारी करने की पद्धति, फल मक्खी प्रबंधन, रासायनिक कीटनाशकों का पर्यावरण एवं मनुष्य पर होने वाले दुष्प्रभाव, रासायनिक कीटनाशकों का सुरक्षित एवं संतुलित इस्तेमाल, पोषक तत्व प्रबंधन, जैव नियंत्रक एवं जैविक कीटनाशक का कीट व्याधि प्रबंधन में उपयोग एवं उनका प्रयोगशाला में बड़े पैमाने पर उत्पादन, कीटनाशक अधिनियम, और कीटनाशकों का सुरक्षित एवं संतुलित इस्तेमाल, रेगिस्तानी टिड्डी एवं उसका नियंत्रण पर व्याख्यान दिया जाएगा।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं को प्रक्षेत्र भ्रमण करके कृषि पारिस्थिकी तंत्र का विश्लेषण करवाया जाएगा एवं फसलों में कीटनाशकों के सही समय पर इस्तेमाल, मित्र एवं शत्रु कीटों का कृषि पारिस्थितिकी में योगदान के बारे में जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षुओं को केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, पटना की प्रयोगशाला जिनमें जैव नियंत्रक एवं जैविक कीटनाशक का उत्पादन किया जाता है, का भ्रमण कराया जाएगा एवं उपर्युक्त का प्रायोगिक अभ्यास कराया जाएगा। सभी प्रशिक्षु राज्य सरकार के कृषि विभाग के कर्मचारी है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से उनके ज्ञान और प्रायोगिक ज्ञान में बढ़ोतरी होगी अंततः कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए 40 राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और वे सभी मास्टर प्रशिक्षक बनकर अपने जिलों/ प्रखंडों में आई. पी. एम. का प्रचार एवं प्रसार करेंगे जिससे खेती की लागत कम होगी तथा किसानों को स्वच्छ एवं स्वस्थ्य उत्पाद लेने में मदद मिलेगी तथा कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले नुकसान से बचा जा सकेगा।