सिटीजन जर्नलिस्ट : जहां तक जानकारी प्राप्त हो रही है की NDA गठबंधन में सीटों का बंटवारा लगभग अंतिम पड़ाव पर है जहां तक मेरी सुझाव हैं 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के सभी घटक दलों के जितने सांसद चुनाव जीतकर लोकसभा में गए थे उनकी सीटों को बरकरार रखते हुए जदयू को बाकी सीट लड़ने के लिए देना ही NDA के पक्ष में होगा क्योंकि यदि ऐसी परिस्थिति में किसी भी प्रकार के उलटफेर किए जाते हैं तो समीकरण कुछ भी हो सकता है बिहार की कुल लोकसभा सीटों की संख्या 40 है और उसमें से भारतीय जनता पार्टी के 22 सांसद हैं इनमें से कुछ ऐसी सीटें हैं जिन पर भारतीय जनता पार्टी को हमेशा बढ़त मिली है तब भी जब बिहार में उसकी खासी नीव मजबूत नहीं थी जैसे बक्सर की लोकसभा सीट भारतीय जनता पार्टी ने उस समय उस सीट पर जीत हासिल की थी जब बिहार में भारतीय जनता पार्टी का बहुत बड़ा जनाधार नहीं था ऐसी कई सीटें हैं जहां पर उलटफेर करना भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए NDA गठबंधन में अभी जितने वर्तमान सांसद हैं उनकी सीटें पर प्रत्याशी भले ही बदल दिए जाएं लेकिन वहां पर उसी पार्टी के अन्य लोग चुनाव लड़ने चाहिए नहीं तो नुकसान हो सकता है मैं अक्सर जनता के बीच में जाता रहता हूं और जनता की रुझानों से मुझे सब कुछ पता चल जाता है चाहे जितने बड़े राजनीतिक समीक्षक बाहर से बुलाकर कोई राजनीतिक पार्टी अपने यहां शामिल कर लें परंतु जनता की आवाज में बहुत ताकत होती है और मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि जहां पर जनता ने भारतीय जनता पार्टी या उसके घटक दल के प्रत्याशी के नाम पर वोट दिया है वहां पर नई पार्टी के प्रत्याशी को खड़ा करके इतने वोट प्राप्त नहीं किए जा सकते ऐसे शीर्ष नेताओं के पास सारा पावर है वह जो भी फैसला करें हम लोग उसका सम्मान करेंगे परंतु अपना सलाह देना अपने गठबंधन धर्म के पालन करना हमारा आदर्श है और उचित सलाह देना हमारा कर्तव्य भी है
रितेश कुमार सिंह प्रदेश उपाध्यक्ष लोक जनशक्ति पार्टी किसान प्रकोष्ठ बिहार