बरौनी औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित फैक्ट्रियों के प्रबंधन की मनमानी और क्षेत्र के विकास की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं- पन्नालाल। स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता एवं क्षेत्र के विकास में योगदान करें औद्योगिक इकाइयां की मांग को लेकर हर्ल मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू
बिहार ब्रेकिंग
उत्तर बिहार के सबसे बड़े औद्योगिक नगरी बेगूसराय जिला का बरौनी क्षेत्र के युवा आज भी रोजगार के लिए दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर बनें हैं। इसके साथ बरौनी रिफाईनरी, बरौनी फर्टिलाइजर, पेप्सी प्लांट, बरौनी डेयरी, बरौनी एनटीपीसी जैसी बड़ी स्थापित औद्योगिक संयंत्र के आलावे दर्जनों लघु उद्योग होने के बावजूद इस क्षेत्र के विकास में ये बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां फिसड्डी साबित हुई है। जबकि निर्देशित नियमों के अनुसार इन सभी फैक्ट्रियों के प्रबंधन को आसपास के गांव व शहर के विकास में अपनी अनिवार्य उपस्थिति दर्ज करानी है। बावजूद ढ़ाक के तीन पात के आलावा और कुछ नहीं।
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इसी के मद्देनजर स्थानीय लोगों को उनकी योग्यता अनुसार नौकरी में प्राथमिकता, स्थानीय श्रमिकों को उचित मजदूरी एवं अन्य कानून सम्मत सुविधा साथ में आसपास के क्षेत्रों में सीएसआर एवं सामुदायिक विकास के तहत खेल मैदान, अस्पताल, बिजली, पेयजल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने संबंधित 13 सूत्री मांगों को लेकर साझा प्रयास बरौनी औद्योगिक क्षेत्र बैनर तले क्षेत्र के युवा एवं समाजसेवियों ने हर्ल के मुख्य द्वार पर अनिश्चितकालीन भूखहड़ताल के माध्यम से प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया है। फर्टिलाइजर कारखाना खोलने की मांग को लेकर क्षेत्र के नौजवान, किसान और समाजसेवियों ने 1 दिसंबर 2012 को इसी हर्ल गेट से भूखहड़ताल के माध्यम से आंदोलन की शुरूआत की थी।परिणाम सबों के सामने है। वर्तमान में यह ईकाई अपने पूर्ण स्वामित्व में आ चुका है। लेकिन प्रबंधन के द्वारा क्षेत्र के युवाओं की उपेक्षा की जा रही है। उपेक्षित युवाओं और समाजसेवियों ने स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता एवं क्षेत्र के विकास में गारंटी की मांग को लेकर संजय कुमार, संजीव कुमार, राजकिशोर सिंह, संतोष पाठक, कमलेश झा, सोनी माधव सात लोगों ने अनिश्चितकालीन भूखहड़ताल की शुरूआत की हैं।
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जानकारी के मुताबिक इनके समर्थन में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि मैदान में उतरने के मूड में हैं। वहीं साझा प्रयास संयोजक पन्नालाल ने कहा कि हर्ल प्रबंधन की मनमानी और क्षेत्रीय उपेक्षा निहित मानसिकता से अब क्षेत्र के हर नागरिक परिचित हो गये हैं। कारखाने में बहाली लगातार हो रही। लेकिन इसके बारे में कोई भी सूचना या रोजगार विज्ञापन क्षेत्रीय अखबार या अन्य माध्यमों के जरीये क्षेत्र के लोगों को नहीं दिया जाता है। गुपचुप तरीके से काफी घालमेल कर हमारे अधिकार का अतिक्रमण किया जा रहा है। गौतम कुमार ने कहा कि अकुशल श्रेणी में भी क्षेत्रीय लोगों के दावे को दरकिनार किया जा रहा है। कैजुअल एवं कांट्रैक्ट पर भी अधिकतर बाहरी लोगों को ही रखा जा रहा है। जो स्पष्ट तौर पर स्थानीय लोगों के साथ अन्याय है।
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कारखाने का भूमिदाता, प्रदूषण प्रभावित आसपास के आम नागरिकों के आजिविका एवं विकास को नजर अंदाज करनेवाले हर्ल प्रबंधन को अपनी नीयत-नीति में बदलाव लाना पड़ेगा। हमारा सत्याग्रह उनसे समग्र विकास की अपेक्षा रखता है। आंदोलन पर बैठे संजय कुमार ने कहा कि 2013 में हमने कारखाना खोलने के लिए सत्याग्रह किया था। आज हम क्षेत्रीय विकास एवं खुशहाली के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं। तब भी हम सफल रहे आज भी हम सफल होंगे। केंद्रीय रसायन मंत्री द्वारा की गई घोषणा को हर्ल प्रबंधन द्वारा लागू करना पड़ेगा। चहेते नेता या अधिकारी की पैरवी, घुसखोरी एवं अन्य तिकड़मों से हटकर आम क्षेत्रवासियों को तरजीह देना होगा।
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मजदूर नेता राजकिशोर सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय श्रमिकों के साथ लगातार होता शोषण और दोहन प्रबंधन की नीयत को स्पष्ट प्रदर्शित कर रही। आज भी कारखाना में काम कर रहे अधिकतर श्रमिक अपने वाजिब अधिकार से वंचित हैं। युवा नेता सिंटू सिंह ने कहा कि अब क्षेत्र के आम नागरिक अपने अधिकार के प्रति जग चुके हैं। अभी हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रबंधन को भ्रष्ट नींद्रा से जगाने का प्रयास कर रहे हैं।क्षेत्र की जनता देख रही है। समय तब बड़ा विकट हो जायेगा जब क्षेत्र के आम नागरिक आंदोलन स्थल पर उमर जायेंगे। हम अपने अधिकार की बहाली तक इस स्थल पर डटे रहेंगे। कार्यक्रम में डाॅ कुन्दन कुमार, गौतम कुमार, रामसेवक सिंह, रंजीत पोद्दार नेपो, सुशील कुमार कुन्दन, वरूण, रामकृष्ण, मुन्ना सहित दर्जनों की संख्या में आंदोलन समर्थित लोग मौजूद थे।