इप्टा के स्थापना ‘दिवस जनसंस्कृति दिवस’ पर इप्टाकर्मियों ने ढाई आखर प्रेम का संदेश जन जन तक पहुँचाने का लिया संक्ल्प
बिहार ब्रेकिंग
इप्टा का स्थापना दिवस साधनापुरी के होटल रुद्रा के कांफ्रेंस हॉल में जनसंस्कृति दिवस के रुप में मनाया गया जिसमें ‘ढाई आखर प्रेम का प्रयोजन और प्रासंगिकता पर विचार गोष्ठी का आयोजन अध्यक्ष मंडल सदस्य मेंहदी शॉ की अध्यक्षता में किया गया। विचार गोष्ठी का संचालन और विषय प्रवेश करते हुए सचिव डॉ अमित रंजन ने कबीर के ढ़ाई आखर प्रेम को काव्य का प्रमुख प्रयोजन बताते हुए प्रेम की व्यापकता और देश भर में फैल रहे नफरत की विस्तृत चर्चा की और विश्वास व्यक्त कि प्रेम की जडें इतनी गहरी हैं कि वो मरेगा नहीं, छाई धुंध बहुत जल्द हटेगी।
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चंदन कुमार प्रेम और सौहार्द को बनाए रखने की अपील की। डॉ. मकेश्वर चौधरी ने टीवी वेब सीरिज के कारण संयुक्त परिवारों के टूट कर एकल परिवार बनने और एकल परिवार में भी संवादहीनता की स्थिति में प्रेम के क्षरण पर चर्चा की। संयुक्त सचिव डॉ. अमित रंजन ने प्रेम प्रयोजन और प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा करते हुए प्रेम की व्यापकता पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में मानव के साथ साथ जीव जन्तुओं के भी प्रेम पर विशद चर्चा की है।
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कंचन बाला ने कहा कि प्रेम बाडी मे नही उपजता, हाट में नहीं बिकता बल्कि राजा प्रजा जिसे रुचता है वह शीश नवा कर धारण करता है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेन्द्रनाथ तिवारी ने प्रेम के क्षरण, सदियों पुराने प्रेम के खिलाफ नफरत फैलाने की विस्तृत चर्चा करते हुए इप्टा कर्मियों को प्रेम का संदेश जन जन तक पहुँचाने का संकल्प दिलाया। मेंहदी शॉ ने कहा कि प्रेम अगर संसार से समाप्त हो गया तो मानव जीवन ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सबके बावजुद प्रेम मरा नहीं है। इप्टा छपरा द्वारा 1 मई को आयोजित ढाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा की समीक्षा की गयी और कोषाध्यक्ष के वित्तीय प्रतिवेदन को सर्वसम्मति से संपुष्ट किया गया।