पोषण पखवाड़ा में “पारंपरिक भोजन” थीम पर परिचर्चा का किया गया आयोजन। “भोजन भाव की वस्तु है, इसे जितनी श्रद्धा एवं सम्मान के साथ ग्रहण करेंगे, वह उतना है सकारात्मक असर शरीर पर डालेगा” – दिनेश कुमार
बिहार ब्रेकिंग
पारंपरिक भोजन के प्रति आमजनों को जागरूक करने के उद्देश्य से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के फील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा इकाई तथा आईसीडीएस, सोनपुर के सहयोग से 02 अप्रैल को सारण जिले के सोनपुर स्थित ज़िला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में पोषण पखवाड़ा अंतर्गत “पारंपरिक भोजन” थीम पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में अति विशिष्ट अथिति वक्ता के रूप में शामिल प्रेस इंफार्मेशन ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि भोजन भाव की वस्तु है। भोजन को ग्रहण करने से पूर्व इसे प्रणाम कर, पूरे श्रद्धा एवं सम्मान के साथ करना चाहिए। जिन्होंने भोजन बनाया है, उनके प्रति भी सम्मान प्रकट करना चाहिए। फिर आप देखेंगे की वही भोजन आपके शरीर पर किस प्रकार सकारात्मक असर डालता है। उन्होंने कहा कि मनुष्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ भोजन उनके आसपास ही मौजूद है और वे ही चीजें सर्वश्रेष्ठ औषधि हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम अमाशय और लीवर के मुकाबले जीभ को अधिक महत्व देंगे तो फिर पेट की समस्याएं तो होंगी ही।
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उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि हमारा पेट जिन चीजों के लिए बना है, उनमें वैसे ही खाद्य पदार्थ डाले जाने चाहिए। ठीक वैसे ही जैसा कि हम डीजल वाहन में पेट्रोल या फिर पेट्रोल वाहन में डीजल नहीं डालते हैं। उन्होंने कहा कि भोजन केवल वह नहीं जो हमारी थाली में परोसा जाता है। बल्कि हवा, पानी और वातावरण भी एक प्रकार का भोजन ही है, जो आपके शरीर पर असर डालता है। लिहाजा, उसमें भी शुद्धता होनी चाहिए। परिचर्चा की रूपरेखा पर विषय प्रवेश संबोधन करते हुए कार्यक्रम के आयोजक एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित रीजनल आउटरीच ब्यूरो के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी सह कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने कहा है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में पूरे देश भर में राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत 21 मार्च से 4 अप्रैल, 2022 तक पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंत्रालय के छपरा स्थित फील्ड आउटरीच ब्यूरो तथा आईसीडीएस, सोनपुर के सहयोग से इस सर्गाभित परिचर्चा का आयोजन किया गया है। इस परिचर्चा का मुख्य उद्देश्य आमजनों को पारंपरिक भोजन के महत्व एवं फायदों के बारे जागरूक करना है। प्रशिक्षु छात्रओं एवं आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के बीच परिचर्चा के आयोजन से बड़े पैमाने पर लोगों को पारंपरिक भोजन के प्रति जागरूक किया जा सकेगा।
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सारण जिले के डीपीओ (आईसीडीएस) उपेंद्र ठाकुर ने परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि बदलते दौर में भोजन की गुणवत्ता में आ रही गिरावट और उससे होने वाली बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ही पोषण पखवाड़ा जैसे उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिन चीजों से हमारे शरीर का निर्माण होता है, उस अनुरूप हम भोजन नहीं करते हैं। हम फास्ट फूड अधिक खा रहे हैं, जिसका प्रतिकूल असर हमारे शरीर पर पड़ रहा है। उन्होंने छात्रों एवं आईसीडीएस से जुड़ी तमाम महिलाओं से आग्रह किया कि वे अपने घरों और आसपास के इलाकों में लोगों को पारंपरिक भोजन के प्रति जागरूक करें। उन्होंने आह्वान किया कि लोग अपनी दिनचर्या में पारंपरिक भोजन को शामिल करें।
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परिचर्चा में अति विशिष्ट अतिथि वक्ता के तौर पर शामिल राजकीय रामेश्वरी भारतीय विज्ञान संस्थान, दरभंगा के सहायक प्राध्यापक डॉ. विजेंद्र कुमार ने कहा कि पारंपरिक भोजन में आयुर्वेद की बहुत भूमिका है। उन्होंने कहा कि मसाले हमें पौधों से प्राप्त होते हैं। शरीर में सभी मसाले एंजाइम को जागृत करते हैं और शरीर को संतुलित रूप देते हैं। उन्होंने कहा कि जितनी भी चिकनी चीजें हैं, वह पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं। लोगों को फाइबर युक्त भोजन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सहजन विटामिन सी का सबसे उत्तम स्रोत है। लोगों को मौसमी फलों एवं सब्जियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। लोगों को कोल्ड ड्रिंक में पैसा देकर बीमारी नहीं खरीदना चाहिए। परिचर्चा को संबोधित करते हुए सोनपुर की सीडीपीओ सबिना अहमद ने कहा कि स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण संभव है। उन्होंने युवाओं को आह्वान करते हुए कहा कि वह खुद भी और आसपास के लोगों को भी पोषक युक्त तत्वों के सेवन एवं पारंपरिक भोजन की ओर उन्मुख होने का संकल्प लें। उन्होंने कहा कि हम लोग परंपराओं से धीरे-धीरे विलग होते जा रहे हैं। हमें अपनी पुरानी विरासत की ओर पुनः लौटने की आवश्यकता है।
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परिचर्चा को संबोधित करते हुए डायट, सोनपुर के प्राचार्य अभय कुमार ने कहा कि कई पीढ़ियों से चली आ रही भोजन की कला परंपरागत भोजन कहलाता है। परंपरागत भोजन ना केवल हमारे शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है बल्कि यह हमारे मानसिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी है। परिचर्चा को संबोधित करते हुए डायट की व्याख्याता डा. विजय श्री ने कहा कि लोगों को परंपरागत तरीके से तैयार भोजन ही करना चाहिए। भोजन करने से आधा घंटा पूर्व और भोजन करने के आधा घंटा बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन पालथी मारकर ही करना सर्वश्रेष्ठ है। परिचर्चा को संबोधित करते हुए सोनपुर के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ हरिशंकर चौधरी ने कहा कि हरी साग-सब्जियों के सेवन से हमारा शरीर स्वस्थ एवं दिमाग तेज होता है। पालक जहां आयरन का अच्छा स्रोत है, वहीं दाल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। फास्ट फूड के सेवन से लोगों में कोलेस्ट्रॉल बेहद बढ़ गया है, जिससे कई प्रकार की बीमारियां लोगों को घर कर गई हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को फाइबर युक्त खाना खाना चाहिए, इससे पेट ठीक रहता है। फ्रिज में रखा हुआ खाना खाने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
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परिचर्चा का संचालन करते हुए फील्ड आउटरीच ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, छपरा के सहायक क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी सर्वजीत सिंह ने कहा कि पारंपरिक भोजन जो कि हमारे खानपान की व्यवस्था में शुरू से ही शामिल है, हमें उसको सतत और सुदृढ़ बनाना पड़ेगा तभी हम पोषण की नीव को मजबूत कर पाएंगे। हमें अपने घरों में मोटे अनाज को थोड़ी जगह देनी पड़ेगी ताकि हमें पारंपरिक भोजन का स्वाद मिल सके और हम अपने नई पीढ़ी को भी पारंपरिक भोजन से अवगत करा पाएंगे। जो भी सरलता से हम अपने घरों में बना सकें जो सुपाच्य हो वह हमारे पारंपरिक भोजन का हिस्सा है। आज की भागदौड़ वाले समय में हम भूल जाते हैं की पोषण के लिए हमें क्या करना चाहिए अगर हम पारंपरिक भोजन को समय पर लेते हैं तो हमें कुपोषण से निजात मिल सकती है। कार्यक्रम का संचालन डायट के प्रथम वर्ष के छात्र अभिषेक कुमार ने किया। मौके पर डायट की व्यख्याता रिजवान सहित संस्थान के छात्र-छात्राएं, सभी शिक्षकगण, आईसीडीएस सोनपुर की पर्यवेक्षिकाएं, सेविकाएं तथा सहायिकाएं बड़ी संख्या में मौजूद थीं।