बिहार ब्रेकिंग
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी है, यह ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है। यह एक नॉन फिजिकल करेंसी होती है जिससे आप इंटरनेट पर खरीद बिक्री कर सकते हैं। यह धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर रही है। बहुत सारे देश की सरकारें इसको मान्यता दे चुकी है। ब्लॉकचेन एक तरह का डेटाबेस होता है, जो कि इंटरनेट पर अलग-अलग जगह पर अलग-अलग कंप्यूटर में स्टोर होता है। इसमें हर खरीद बिक्री का और हर तरह के लेनदेन का ब्यौरा यूनिक आईडी के अंदर स्टोर होता है और हर कदम पर इसका सत्यापन होता है। इस लिहाज से विशेषज्ञों का ऐसा दावा है कि यह एक फ्रॉड प्रूफ तकनीक है। इसके डाटा के साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं होती है, बस इंटरनेट से जुड़ कर आप कहीं भी, कभी भी इस डेटाबेस को एक्सेस कर सकते हैं।
हमसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, डेलीहंट, Koo App, सिग्नल और टेलीग्राम पर यहां क्लिक कर जुड़ें
ब्लॉकचेन की तकनीक सबसे पहले 1991 में सामने आई थी, जब इसकी खोज स्टुअर्ट हेबर और स्कॉट् स्टोनेटी ने की थी। शुरुआत में इसका इस्तेमाल मरीजों के डाटा को स्टोर करने के लिए किया जा रहा था, ताकि कोई चाह कर भी मरीजों के डाटा से छेड़छाड़ ना कर सके। बाद में 2009 में इसी तकनीक पर सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी, बिटकॉइन बाजार में आई। अभी बाजार में बिटकॉइन के अलावा एथेरियम, टेथर, बीएनबी, यूएसडी कॉइंस जैसी अन्य प्रमुख क्रिप्टो करेंसी खरीद तथा बिक्री के लिए मौजूद है।
हमसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, डेलीहंट, Koo App, सिग्नल और टेलीग्राम पर यहां क्लिक कर जुड़ें
पैसा (Money) कहते हैं और मुद्रा (Currency) कहते हैं उसमें क्या अंतर है?
हर वह चीज जिसका बाजार में कुछ मूल्य है वह मनी है जैसे जमीन, सोना-चांदी, दुर्लभ पेंटिंग, मूर्तियां इत्यादि। करेंसी यानी मुद्रा सरकार द्वारा प्रेषित किया गया एक माध्यम है जिसके द्वारा पैसा एक हाथ से दूसरे हाथ हस्तांतरित होता है। मुद्रा को सरकार कंट्रोल कर सकती है और करती है पर मनी पर सरकार का कंट्रोल न के बराबर होता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने अभी तक क्रिप्टोकरंसी को मान्यता प्रदान नहीं की है। जैसे कि बैंकों में हमारे आपके पैसे डिजिटल रूप में जमा रहते हैं, यूपीआई के जरिए हम डिजिटली खरीद बिक्री कर सकते हैं, ऐसे ही क्रिप्टो करेंसी भी एक तरह की डिजिटल करेंसी है, जिसकी आप खरीद बिक्री कर सकते हैं तथा जिससे आप खरीद बिक्री कर सकते हैं। अगर कभी आपने ऑनलाइन शॉपिंग की है तो आपको पता होगा कि फ्लिपकार्ट, अमेजॉन इत्यादि कंपनियां आपकी हर खरीद पर आपको कुछ पॉइंट या कॉइन देती हैं जिसे आप अपनी अगली खरीद में भंजा सकते हैं। यह भी एक तरह की डिजिटल करेंसी ही है पर आप इसे इंटरनेट के दूसरे पोर्टल पर खरीद फरोख्त नहीं कर सकते हैं।
हमसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, डेलीहंट, Koo App, सिग्नल और टेलीग्राम पर यहां क्लिक कर जुड़ें
आरबीआई ने 2018 में हर तरह की क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा दिया था पर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस बैन को निरस्त कर दिया क्योंकि आरबीआई कोई साक्ष्य नहीं दे पाया कि इस तरह की करेंसी भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान पहुंचा रही है। ज्ञातव्य हो कि यूरोपियन सेंट्रल बैंक अपनी ही एक क्रिप्टो करेंसी (डिजिटल करेंसी) डिजिटल -यूरो के नाम से लेकर आ रही है। इसकी तय समय सीमा 2026 रखी गई है। इसी तर्ज पर ब्रिटेन भी ब्रिट-कॉइन नाम की आधिकारिक डिजिटल करेंसी लेकर आएगा। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी गुप्त रूप से इस पर काम कर रही है और भविष्य में बहुत संभावना है कि अमेरिका भी अपना खुद की डिजिटल करेंसी लेकर आए। क्रिप्टो करेंसी को मान्यता प्रदान करने में जापान की सरकार सबसे पहली सरकार है। वहां 2018 से ही इसको मान्यता प्राप्त है।
क्रिप्टो करेंसी बाजार में आखिर आई क्यूं?
हमें मालूम है कि विश्व व्यापार ज्यादातर डॉलर में होता है। हर देश की अपनी एक अधिकारी की मुद्रा है जिस पर उस देश के सेंट्रल बैंक (जैसे भारत के लिए आरबीआई) का कंट्रोल होता है। इसी कंट्रोल के तहत सरकार हर तरह के लेनदेन पर नजर रखती है। जैसे कि हमें किसी को अगर पैसा देना अथवा लेना है तो यह कार्य किसी बैंक के जरिए ही डिजिटली संभव हो सकता है, पर अगर यह लेनदेन क्रिप्टो करेंसी में की जाए तो सरकार का नियंत्रण इस लेनदेन से पूरी तरीके से खत्म हो जाता है। इस कारण से इसे अदा करने वाले और प्राप्तकर्ता के अलावा किसी को इसकी जानकारी नहीं होती है।
हमसे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर, डेलीहंट, Koo App, सिग्नल और टेलीग्राम पर यहां क्लिक कर जुड़ें
इस तरह की मुद्रा के उदय का सबसे बड़ा कारण विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की लचर आर्थिक नीति, पैसे तथा कारोबार के लिए बैंकों पर अत्यधिक निर्भरता है। प्रोग्रेसिव टैक्सेशन भी इसमें बहुत बड़ा किरदार निभाता है। प्रोगेसिव टैक्सेशन वह नीति जिसमें की सरकार उस व्यक्ति अथवा संस्थान से उतना ही ज्यादा टैक्स लेती है जितनी ज्यादा वह कमाई करता है। भारत सरकार ने इस को मान्यता नहीं दी है क्योंकि मुद्रा के हस्तांतरण का किसी को ज्ञात नहीं हो पाता, अतः इस पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता। सरकार ने अभी तक क्रिप्टो करेंसी की खरीद बिक्री पर होने वाले लाभ पर 30% टैक्स की घोषणा की है, पर इसका बिल्कुल अर्थ नहीं है कि सरकार ने इसको आधिकारिक मान्यता दे दी है। वहीं दूसरी तरफ इंडस्ट्री इसको मान्यता प्रदान करने की दिशा में सरकार का एक कदम मान रही है। वैसे अगर सरकार इस को आधिकारिक रूप से मान्यता प्रदान करती है तो अर्थव्यवस्था, रोजगार, महंगाई, बेनामी लेनदेन, फ्रॉड नियंत्रण, विदेशी निवेश, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इससे काफी मदद मिलेगी। ऐसी परिस्थिति में इस मुद्दे पर सरकार को कुछ ठोस पॉलिसी बनाने की नितांत आवश्यकता है।
(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं। अपना फीडबैक आप mrinal.pathak@gmail.com पर प्रेषित कर सकते हैं।)