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सारण स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद सीट से मसरख के पूर्व विधायक रहे तारकेश्वर सिंह के चचेरे भाई संजय कुमार सिंह की सशक्त दावेदारी से अन्य उम्मीदवारों के होश उड़े हुए हैं। संजय सिंह ने खूब पसीना बहाया ही है वहीं उनके चचेरे भाई तारकेश्वर सिंह सारण की राजनीति के पुराने चाणक्य रहे है। हर क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ स्थानीय प्राधिकार से जीते जनप्रतिनिधियों पर है। उनके द्वारा संजय सिंह के पक्ष में गोलबंदी भी प्रारंभ कर दी गई है। जिले में औद्योगिक क्रांति जन आंदोलन का सूत्रपात कर संजय सिंह चर्चा के केंद्र में आए है।
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विधानसभा चुनाव के समय इन्होंने तरैया से पप्पू यादव की पार्टी जाप से चुनाव भी लड़ा था। संजय सिंह कहते हैं कि बिना बाहुबल और धनबल के भी चुनाव जीता जा सकता है क्योंकि इसमें जो मतदाता है वह हाल ही में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में जीत कर आए और उन्होंने इस दर्द को सहा है कि कैसे नोट के दम पर वोट बिकते हैं। जात पात में समाज बिखरा हुआ है। अगर यह सभी लोग बदलाव चाहते हैं तो इन्हें स्वच्छ छवि का निष्पक्ष व्यक्ति चुनना होगा। हम अपनी जिम्मेदारियों को जानते हैं। विधान पार्षद के रूप में स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के मान सम्मान की रक्षा कर सकते हैं। सदन में उनके सवालों को उठा सकते हैं, उनकी बुनियादी समस्याओं को उठा सकते हैं। पंचायती राज व्यवस्था को सशक्त करने में अहम भूमिका भी निभा सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि जिस तरह से पूरे जिले के पंचायत प्रतिनिधि उनके पक्ष में एकजुट है इस बार सारण इतिहास रचने में सफल होगा। उन्होंने कहा कि बाहुबल और धनबल से वोटरों को प्रभावित करने वाले लोगों को मुंहतोड़ जवाब भी मिलेगा। एक सवाल के जवाब में संजय सिंह ने कहा कि उनका मुकाबला किसी से नहीं उनका मुकाबला बाहुबलियों से है धन बलियो से है। ऐसे लोगों से है जिन्होंने राजनीति को व्यवसाय बना लिया जो चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहाते हैं और चुनाव जीतने के बाद अगले 5 साल तक नजर नहीं आते। सारण हमेशा इतिहास रचते रहा है और इस बार बड़े बदलाव की तैयारी में है। समय कम है इस कारण से अपने समर्थकों के साथ चुनावी तैयारी में लग चुके हैं।