बिहार ब्रेकिंग
अपनी जमीन और अपनी माटी से लगाव क्या होता है यह उन लोगों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है जो अपनी धरती से हजारों किमी दूर परदेश में रह रहे हैं। रोजी-रोटी और नाम कमाने के लिए बाहर निकले और विदेषों में अपने दम पर कामयाबी की नित नई दास्तान लिख रहे बिहारी अप्रवासी किस तरह अपने पुरखों की धरोहर को बचाकर रखने के लिए चिंतित है यह जमीनी बातें सीरीज- 5 में देखने को मिली। जमीनी बातें सीरीज- 5 का आयोजन एनआरआई बिहारियों की सुविधा के लिए बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के बिहार फाउंडेशन के साथ मिलकर किया गया। इसमें अमेरिका के विभिन्न प्रांतों में रह रहे बिहार और झारखंड के लोगों के एक दर्जन से अधिक संगठनों से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। बिहार फाउंडेशन के अलावा, बजाना, बजाव, बुजु और उत्तरी अमेरिका के मैथिली मंच ने इसमें सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।
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2 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में 125 से अधिक एनआरआई बिहारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर अप्रवासियों में इस कदर उत्साह था कि क्षमता से अधिक प्रतिभागी होने की वजह से सिर्फ 75 लोग ही एक्टिव रूप से जुड़ पाए जबकि 50 से अधिक अप्रवासियों को पैसिव रूप से जोड़ना पड़ा। इस कार्यक्रम में अमेरिका के विभिन्न शहरों से अप्रवासियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम को वर्चुअली आयोजित करने की जिम्मेदारी एनआईसी को दी गई थी। राज्य सूचना विज्ञान पदाधिकारी राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में एनआईसी की टीम ने स्वदेशी एप भारत वीसी के जरिए शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रशिक्षण संस्थान में बैठे अधिकारियों को अमेरिकी अतिथियों को जोड़ा।
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अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह मसूरी से और सर्वे निदेशक जय सिंह चंडीगढ़ से इस कार्यक्रम में जुड़े हुए थे। कार्यक्रम का आयोजन रात 10 बजे शुरू हुआ जो रात 12 बजे तक चला। कार्यक्रम की शुरूआत बिहार फाउंडेशन के ईस्ट कोस्ट चैप्टर के चेयरमैन और दरभंगा के मूल निवासी आलोक कुमार के स्वागत भाषण से हुआ। आलोक कुमार ने राजस्व विभाग द्वारा हाल के वर्षों में शुरू की गई ऑनलाइन सेवाओं की तारीफ की और इसके लिए राज्य सरकार और विभाग को धन्यवाद दिया। बिहार में भूमि राजस्व प्रशासन के ऐतिहासिक पहलुओं खासकर स्थायी बंदोबस्त के संदर्भ पर अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने जानकारी दी। बिहार में चल रहे विशेष सर्वेक्षण के मुख्य-मुख्य बातों की जानकारी निदेशक, जय सिंह द्वारा दी गई। ऑनलाइन सेवाओं के बारे में आईटी मैनेजर आनंद शंकर ने संक्षेप में बताया। आखिर में ऑनलाइन सेवाओं और सर्वे पर बनी शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी को दिखाया गया।
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इंटरैक्शन सेशन में अप्रवासियों द्वारा मुख्य रूप से म्युटेशन, लगान भुगतान, परिमार्जन, सीलिंग, लगान निर्धारण से संबंधित सवाल पूछे गए। कइयों को अपनी जमीन का अता-पता लेना था। सभी का सवाल लेना संभव नहीं था इसलिए आयोजकों द्वारा सीमित अप्रवासियों को ही अपनी बात रखने का मौका दिया गया। कार्यक्रम में 12 अप्रवासियों ने खुलकर अपनी समस्या और सुझाव रखे। पटना के पोस्टल पार्क इलाके से जाकर अमेरिका के न्यू जर्सी में अपनी आईटी कंपनी चलाने वाले राजेश कुमार का सुझाव था कि ऑनलाइन भुगतान के लिए दिए गए निदेशों में हर जगह हिंदी और इंग्लिश का विकल्प नहीं दिया गया है, खासकर ड्रॉप डाउन में। कहीं हिंदी है तो कहीं अंग्रजी। जिससे उनलोगों को जिन्हेें हिंदी नहीं आती है, लगान भुगतान में दिक्कत होती है।
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गोपालगंज के कुचायकोट के रहनेवाले और ऑस्टन शहर निवासी विनय दुबे ने बताया कि म्युटेशन के लिए ऑनलाईन अप्लाई किया था लेकिन अंचल अधिकारी ने रिजेक्ट कर दिया है। गया के अतरी अंचल के रहनेवाले संजीव सिंह की समस्या थी कि दादा ने 1930 में 48 बीघा जमीन खरीदी थी जिसपर लोगों ने कब्जा कर लिया है। जहानाबाद के काको थाना के अनिल कुमार शर्मा की शिकायत थी कि पुश्तैनी बेलगानी जमीन है जो लगान निर्धारण के लिए भूमि सुधार उपसमाहर्ता के लिए पिछले 2 साल से लंबित है। सीवान निवासी सुनीत कुमार की शिकायत है कि चचेरे दादाजी के नाम से संयुक्त संपत्ति है, अपने नाम पर कैसे चढ़वाया जाए। मधेपुरा के निवासी हर्ष सिंह को आलमनगर के अंचल अधिकारी से शिकायत थी जो उनकी जमीन से स्थानीय लोगों के कब्जे का खाली नहीं करा रहे हैं।
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अररिया की मूल निवासी अपराजिता झा को फारबिसगंज अंचल से शिकायत थी कि जमीन खरीदने के समय सब ठीक था, दाखिल-खारिज भी हो गया, अब रसीद नहीं कट रहा है, बताया जा रहा है कि जमीन लालकार्ड का है। विक्रम मिश्रा की समस्या यह थी कि जमाबंदी को ऑनलाइन कराने के लिए पिछले साल ही परिमार्जन में आवेदन लिए थे जो आजतक नहीं हुई है। बैठक में डेनबर्ग से डॉ अजय झा, प्रख्यात कॉर्डियोलाजिस्ट डॉ अविनाष गुप्ता, न्यू हैम्पशायर से मनीष कुमार, नार्थ कैरोलीना से संजय राय, टेक्सॉस से साकेत कुमार, बिहार फाउंडेशन के वेस्ट कोस्ट चैप्टर के अध्यक्ष रंजीत कुमार समेत बड़ी संख्या में अप्रवासियों ने हिस्सा लिया। जिन लोगों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल पाया उन्हें सलाह दी गई कि विभाग के ई-मेल पर अपनी समस्या को विस्तार से लिखकर भेजें ताकि विभाग उनको संबंधित अधिकारियों को भेजकर उनका निष्पादन करा सके। इससे पहले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अतिथियों का निबंधन कराया गया था। 4 सौ से अधिक अप्रवासियों ने निबंधन कराया था। कुछ लोगों ने अपनी समस्या भी भेजी जिसे सुलझा दिया गया। मुजफ्फरपुर के मुषहरी अंचल के मूल निवासी रूस्तम अली ने दाखिल-खारिज के लिए सितंबर, 21 को आवेदन दिया था जो कर्मचारी के स्तर पर लंबित था। अंचल अधिकारी ने पूछने पर बताया कि कर्मचारी रिपोर्ट मिल गया है, नोटिस पीरियड में है, 25 फरवरी को समय पूरा होते ही वाद का निष्पादन कर दिया जाएगा।
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कार्यक्रम के आखिर में अपर मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि विवाद में दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष आप हैं, लेकिन दूसरे का पक्ष सुने बगैर निर्णय नहीं लिया जा सकता है। अपनी जमीन और अपनी संपत्ति के संरक्षण की प्राथमिक जिम्मेदारी आपकी है। तकनीक की मदद से इस काम में सहूलियत हो रही है। इसका फायदा उठाएं। बिहार फाउंडेशन ने गुजारिश की इस तरह के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाएं। ताकि और लोगों की समस्या भी रखी जा सके। सहमति बनी कि अप्रवासियों की भूमि संबंधी समस्या को लेकर जमीनी बातें की श्रृंखला आगे भी आयोजित की जाएगी। आनेवाले अप्रैल/मई में अगली श्रृंखला का आयोजन किया जा सकता है। बिहार फाउंडेशन अमेरिका में कार्यरत बिहारियों की ऐसा संगठन है जो सरकार के माध्यम से वहां के लोगों की समस्या का समाधान करता है। अध्यक्ष, आलोक कुमार ने बताया कि बिहार के किसी विभाग से बात कर अपने लोगों की समस्या का समाधान निकालने का पहला प्रयास है। जल्द ही फाउंडेशन और विभागों से बात करके अमेरिकी बिहारियों की समस्या का समाधान निकालने का प्रयास करेगा।
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अमेरिका में रह रहे बिहारी अप्रवासियों ने शनिवार की देर रात राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारियों से संवाद किया। इसमें अमेरिका में रह रहे बिहार और झारखंड के वैसे लोगों ने हिस्सा लिया जिनकी यहां जमीन है और जिनको अपनी जमीन के बारे में जानकारी हासिल करनी है। कुछ लोगों ने अपने बिहार दौरे में जमीन से संबंधित समस्या के समाधान के लिए आवेदन दिया था, उन्हें अपनी समस्या का समाधान जानना था। बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह, सर्वे निदेशक जय सिंह, भू अर्जन निदेशक सुशील कुमार, चकबंदी के संयुक्त निदेशक नवल किशोर, संयुक्त सचिव कंचन कपूर और चंद्रशेखर प्रसाद विद्यार्थी समेत विभाग के सभी अधिकारी और तकनीकी शाखा के कर्मी उपस्थित थे। इस वर्चुअल बैठक में कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए एनआईसी की पूरी टीम बैठमें में उपस्थित थी।