बिहार ब्रेकिंग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिंदगी की यात्रा गुजरात के छोटे से शहर वड़नगर की गलियों से शुरू होती है। जो पूरी तरह संघर्ष, समपर्ण, और देश के हर व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाने के सपनों की जीवंत कहानी है। नरेंद्र मोदी के जीवन के शुरुआती 50 साल काफी उतार चढ़ाव भरे रहे और इस दौरान उन्होंने चाय बेचने से लेकर हिमालय तक का सफर किया और आश्रमों में अपनी सेवा दी। गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन से लेकर आपातकाल के दौरान संघर्ष की कहानी लिखी। और फिर राजनीति के बड़े मंच पर अक्टूबर 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। 2001 से 2014 तक नरेंद्र मोदी लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने देश व दुनिया के सामने विकास का गुजरात मॉडल पेश किया। इस दौरान गुजरात में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति देखने को मिली। वाइब्रेंट गुजरात के जरिए निवेशों की झड़ी लगी और भूकंप से तबाह कच्छ में पुनर्निर्माण की नई कहानी लिखी गई। नरेंद्र मोदी इस दौरान देश में सबसे अच्छे मुख्यमंत्री और प्रशासक के साथ विकास पुरुष के रुप में चर्चित हुए। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी गुजरात से निकलकर केंद्र की राजनीति में दाखिल हुए। उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया और फिर करीब तीन दशकों बाद केंद्र में किसी अकेली पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला। यानि साफ था कि देश के लोगों को गुजरात मॉडल पसंद आया और नरेंद्र मोदी के विकास पुरुष की छवि पर दांव भी लगाया।
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नरेंद्र मोदी पिछले सात सालों से केंद्र की सत्ता में बदलाव की नई कहानी गढ़ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर जहां अपने पहले कार्यकाल में दर्जनों जनकल्याणकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाया वहीं अपने दूसरे कार्यकाल में कई विवादित और अनसुलझे मुद्दे को भी सुलझाने का साहस दिखाया। नरेंद्र मोदी लीक से हटकर चलना जानते हैं और गुजरात मॉडल को उन्होंने देश के विकास का मॉडल बनाया। नरेंद्र मोदी ने अपने संघर्ष के जीवन को सीख का जरिया बनाया और उसे अपनी योजनाओं में उतारकर राष्ट्र के जनकल्याण का रास्ता बनाया। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपनों को हकीकत में बदलने के लिए खुद उन्होंने हाथों में झाड़ू उठाया, समुद्र के किनारे सफाई की, घर-घर तक शौचालय पहुंचाने का संकल्प पूरा किया। आज इसी का नतीजा है कि स्वच्छता अब देश में जनआंदोलन बन रहा है और लोग स्वच्छता को लेकर गंभीर होते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं देश अब कचरा प्रबंधन की राह बनाने में जुटा है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता के केंद्र में भी महिलाओं का दर्द था और फिर प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के जरिए उन्होंने महिलाओं की एक और बड़ी परेशानी को दूर करने का काम किया। प्रदूषण और चूल्हे के धुएं से महिलाओं को निजात दिलाकर उन्होंने एक साथ कई मुद्दों का हल निकाला। आज महिलाएं चूल्हे-चौके में समय की बचत होने से आर्थिक सशक्तिकरण की राह भी तैयार करने में जुटी है।
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इसी तरह प्रधानमंत्री जन धन योजना के जरिए उन्होंने हर भारतीय का बैंक खाता खोलने जैसा एक अभिनव प्रयोग किया। जिसका फायदा यह हो रहा है कि जहां लोगों को बचत की आदत लग रही है, वहीं डीबीटी के माध्यम से केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सीधा फायदा मिल रहा है। इससे बिचौलियों की भूमिका काफी हद तक कम हो गई है। कहा जाता था कि देश में केंद्र से चलने वाले 100 रुपये में से महज 15 रुपये ही जरुरतमंदों तक पहुंचता था, लेकिन अब ये बात डीबीटी और बैक खाता होने से खत्म होती नजर आ रही है। अब लाभुकों के खाते में हर योजना का फायदा सीधे मिलता है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए शहरी और ग्रामीणों के सर पर छत हो, इस सपने को पूरा करने में भी नरेंद्र मोदी लगातार जुटे हैं। घर-घर जल, हर घर बिजली जैसे अभियान से गांवों में जिंदगी जीने का तरीका बदल रहा है। प्रधानमंत्री ने शहरों को स्मार्ट बनाने की पहल की और आज इसका नतीजा यह है कि हमारे कई शहर वैश्विक शहरों को टक्कर देने की स्थिति में खड़े हो गए हैं।
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केंद्र में पहले पांच सालों में नरेंद्र मोदी ने गांव, गरीब, किसान और महिलाओं के उत्थान के लिए मिशन मोड में चौबीसो घंटे, सातों दिन, बिना रुके, बिना थके काम किया। उसी का यह नतीजा रहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार जनता ने नरेंद्र मोदी को पिछले चुनाव से भी ज्यादा और अपार समर्थन दिया। ईमानदारी से कोशिश की जाए तो मौजूदा व्यवस्थाओं से भी बड़े बदलाव किये जा सकते हैं, इसे नरेंद्र मोदी ने पूरी तरह गुजरात से लेकर केंद्र तक में साबित किया है। 2019 की पारी में नरेंद्र मोदी ने देश के अनसुलझे और विवादित मुद्दों का हल भी निकालना शुरू किया, जिसमें उनकी ईमानदार कोशिश रंग लाई। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का काम हो या फिर मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की कुरीति को खत्म करना। यह सब नरेंद्र मोदी की असीम इच्छाशक्ति, सेवा और समर्पण की मिसाल है। कुछ इसी तरह दशकों से चले आ रहे राम जन्मभूमि विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकलना। आतंकवाद के मोर्चे पर भी भारत ने पिछले कुछ सालों में दुनिया को कड़ा संदेश दिया। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सर्जिकल स्ट्राईक कर यह दिखाया कि वो भी ईंट का जवाब पत्थर से देने की झमता रखता है। इतना ही नहीं सीमा विवाद पर भी भारत ने पड़ोसियों को पीछे हटने पर मजबूर किया।
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नरेंद्र मोदी की अगुआई में कोरोना काल में जिस तरीके से भारत ने इससे निपटा है, उसकी हर तरफ सराहना हो रही है। इतना ही नहीं भारत ने दुनिया को वैक्सीन मैत्री का संदेश देकर अपनी विश्व गुरु की छवि और ‛सेवा परमो धर्म’ के शब्दार्थ को भी फिर से चरितार्थ किया है। आर्थिक मंच पर भारत आज दुनिया के बेहतरीन परफार्मर में शामिल हो गया है। शायद यही वजह है कि मोदी के नाम पर यह कहावत फिट होने लगा है कि मोदी है, तो मुमकिन है। यानि यह कहा जा सकता है कि प्रशासक के तौर पर उनका देश के लिए 20 साल बेमिसाल है।