
बिहार डेस्क-अनुभव

सवर्णों द्वारा आज किये गए सफल भारत बंदी से भाजपा खेमे में हड़कंप मच गया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी-एसटी एक्ट में दिए गए निर्णय के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा वोट के लालच में अध्यादेश लाने के खिलाफ पूरे देश में स्वर्ण एकजुट हो रहे हैं। आज की बंदी निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी खेमे में दहशत पैदा करने के लिए काफी है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का आधार वोट सवर्णों का ही रहा है।भारतीय जनता पार्टी सवर्णों की पार्टी मानी जाती रही है। कमोबेश हर जगह बंदी को सफल बनाने में भाजपा कार्यकर्ताओं की मुख्य भूमिका रही। अपनी ही सरकार के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर नजर आए। कई जगह ऐसे कई बंद समर्थक नजर आए जो आज से पहले भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी के कट्टर भक्त हुआ करते थे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अध्यादेश लाने से भाजपा के स्वर्ण समर्थकों का भाजपा से मोह भंग होता नजर आ रहा है। सवर्णों को अब लगने लगा है कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी भी अन्य दलों की तरह सवर्णों को उपेक्षित कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी यह भूल रही है कि समर्थक किसी भी व्यक्ति या दल के गुलाम नहीं होते ।समर्थकों की भी अपनी समझ होती है और वह अपनी सूझबूझ से किसी दल का या तो समर्थन करते हैं या विरोध ।ये बात तो बिल्कुल सही है कि एससी- एसटी एक्ट का काफी दुरुपयोग देखा जा रहा है, और कई ऐसे मामले हैं जिसमें झूठा आरोप लगाकर किसी को फंसाया गया है। आज समाज में एससी- एसटी एक्ट का इस्तेमाल सवर्णों के खिलाफ हथियार के रूप में किया जा रहा है।
अपनी ही सरकार के खिलाफ भाजपा समर्थक उतरे सड़कों पर
बिहार ही नहीं पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के उच्च जाति के समर्थक अपने ही सरकार के खिलाफ नारे लगाते और सड़क जाम करते नजर आए। सरकार द्वारा इस अध्यादेश को लाने से सवर्णों में काफी रोष है ,और आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।