बिहार डेस्क-पटना
केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों और पेट्रोलियम पदार्थों की में कीमत में की गई भारी बढ़ोतरी के खिलाफ वाम दलों के आह्वान पर 10 सितंबर को आयोजित भारत बंद की तैयारी को लेकर प्रदेश के प्रमुख वामपंथी पार्टियों के नेताओं की संयुक्त बैठक शुक्रवार को जन शक्ति भवन में हुई। बैठक की अध्यक्षता भारतीय कमुनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सतनारायण सिंह ने की। बैठक में भाकपा, माकपा, भाकपा माले, अखिल भारती फारवर्ड ब्लॉक, आरएएसपी और एसयूसीआई के नेताओं ने भाग लिया। बैठक के संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वाम दलों के नेताओं ने कहा कि देश की जनता पर बढ़ते असहनीय आर्थिक बोझ चिंता का विषय है। पेट्रोल, डीजल, घरेलू गैस की कीमत की गई बेतहासा वृद्धि के खिलाफ भारत बंद की घोषणा की गई है। वाम नेताओं ने कहां के पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों से दैनिक जरूरत की सभी वस्तुएं महंगी हो गई है । जिंदगी दूभर बन गया है। कीमत में की गई बढ़ोतरी का नकारात्मक असर जीवन के हर छेत्र में देखने को मिल रहा है। देश के किसान पहले से ही अपनी समस्याओं से जुझ रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी से खेती पर भी नकारात्मक असर पड़ा है। इस मूल्य बढ़ोतरी का असर चहुमुंखी है। इसका आर्थिक विकास पर नारात्मक असर पड़ा है। नौकरी लगातार ख़त्म की जा रही है। नये रोजगार पैदा नहीं किये जा रहे हैं। नए रोजगार पैदा नहीं होना गम्भीर सन्देश दे रहा है। ऊपर से रुपये की लगातार अवमूल्यन मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीति की ही परिणीति है। देश के किसान कृषि लागत में कम करने, लाभकारी मूल्य की प्राप्ति एवं सभी तरह के कर्ज की माफी के लिए आंदोलन करते हैं। उन्हें राहत तो नहीं मिलती है, लेकिन लाठी एवं मुकदमे जरूर झेलने पड़ते हैं। दूसरी ओर यही सरकार कारपोरेट घरानों के द्वारा लिए गए लाखों रुपये का कर्ज एनपीए में डाल रही है। मोदी सरकार ने कारपोरेट घरानों की चार लाख करोड़ रुपये की कर्ज चार सालों में माफ की है। लाखों करोड़ रुपये कारपोरेट घरानों ने एनपीए के नाम पर डकार चुके हैं। इससे सार्वजनिक बैंकों को बुरी स्थिति में पहुँचा दिया है। वाम नेताओं ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान खरीद घोटाला एवं अन्य सौदों में क्रोनी पूंजीवाद अपना असर दिखा रहा है। किसी तरह की जांच से सीधा इनकार करना घोटाले पर सीधा पर्दा डाल देना है। कालाधन लाने का आश्वाशन था।
कालाधन आया तो नहीं, लेकिन इसकी कानूनी मान्यता मिल गई। जनता को जीवन से रूबरू समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए, अपनी असफलता के अंबार को ढकने के लिए हिंसा और घृणा समाज में फैलाया जा रहा है।कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों की हत्या, पिटाई या गिरफ्तारी बढ़ती जा रही है। फासीवादी ताकते कई संवैधानिक पदों पर बैठ कर अपनी कुटिल चाल चल रहा है। लेकिन हम उनकी कुटिलताओं को सफल नहीं होने देंगे। ऐसी परिस्थितियों का प्रतिरोध करने हेतु वामपंथी पार्टियों ने 10 सितम्बर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।वामपंथी पार्टियों ने समान विचार धारा वाले राजग विरोधी दलों से भी बंद का समर्थन करने की अपील की है। इसके साथ ही आमजनों, किसानों, मजदूरों, छात्र, नौजवान, महिलाओं और अन्य तबकों से बंद को सफल बनाने की अपील की है। वाम नेताओं ने कहा कि बिहार में तमाम गरीब हितैसी योजनाएं भ्रष्टाचार की शिकार है। जिससे बिहार के किसानों, मजदूरों एवं सभी तबके के श्रमजीवी जनता पर केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों का गम्भीर असर पड़ रहा है और उनका जीवन दूभर हो गया है। बैठक में माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार, माकपा राज्य सचिव मण्डल सदस्य अरुण कुमार मिश्रा, गणेश प्रसाद सिंह, भाकपा के जब्बार आलम, कपिलदेव यादव, भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य राजा राम, केंद्रीय कमेटी सदस्य केडी यादव, एसयूसीआई की साधना मिश्रा आदि मौजूद थे।