बिहार डेस्कः बुढ़ापा जीवन की वो अवस्था जिसमें मुश्किलें शायद सबसे ज्यादा आती हैं। ढलती उम्र व्यक्ति को ज्यादा परेशान करता है। बात अगर सियासत की करें तो यहां तों बुढ़ापे की बात छोड़िए अंतिम सांस तक महत्वकांक्षाएं हिलोर मारती हैं। लेकिन बिहार के नेताओं के लिए उनकी ढलती उम्र परेशानी का सबब बन सकती है। ‘प्रभात खबर’ ने अपने बेवसाइट पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके मुताबिक बिहार के कई नेताओं की मुश्किलें उनकी उम्र की वजह से बढ़ सकती है। संभवतः अधिक उम्र वाले नेता मार्गदर्शक मंडल की भेंट भी चढ़ सकते हैं। चिंता भाजपा खेमे में ज्यादा होगी क्योंकि उम्रदराज नेताओं की संख्या बीजेपी में ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के लिए यह चिंता की बात है कि बिहार में उसके मौजूदा लोकसभा सदस्यों में चालीस साल से कम उम्र के एक भी सांसद नहीं हैं.इस खबर को भी पढ़ेंः-‘सृजन’ पर सवाल-‘ देश भर में फैला बंदरबांट का पैसा, बड़ी मछलियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?’
पार्टी ने मार्गदर्शक मंडल की उम्र सीमा को आधार बनाया तो कम से कम आधा दर्जन वर्तमान सांसदों का इस बार चुनाव लड़ना मुश्किल हो सकता है़.पार्टी के मौजूदा 22 सांसदों में 40 से ऊपर और 50 वर्ष तक की उम्र सीमा में मात्र दो गोपालगंज के सांसद जनक राम और वाल्मिकीनगर के सांसद सतीश चंद्र दुबे हैं. 2014 में चुनाव आयोग के समक्ष दायर शपथ पत्र के मुताबिक जनक राम की उम्र 2019 में 47 साल की होगी. वहीं, दुबे 44 साल के होंगे़. 50 से अधिक और 60 साल के नीचे की उम्र सीमा में 12 सांसद हैं.छह सांसदों की उम्र 2019 के चुनाव के समय 70 के करीब हो जायेगी. चुनाव आयोग के समक्ष 2014 में दायर शपथ पत्र के मुताबिक केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह की उम्र 2019 में 69 की होगी़ वहीं, शिवहर की सांसद रमा देवी 70 पार कर जायेंगी़. मधुबनी के सांसद हुकुमदेव यादव की उम्र 2019 में 82 साल हो जायेगी. कटिहार के भाजपा उम्मीदवार निखिल चैधरी 2019 में 73 साल के हो जायेंगे..