अभिषेक मिश्राः
आदरणीय आविष्कारक महोदय
निःसंदेह आपने कठिन संघर्ष से सफलता पायी है और आपके संघर्ष की सराहना भी होनी चाहिए लेकिन उससे ज्यादा तारीफ होनी चाहिए आपके आविष्कारी खोपड़ी को। क्या ईजाद किया है साहब आपने। गांव में तेज दिमाग आदमी को विसखोपड़ा कहा जाता है यह बिहार की शब्दावली है उसी शब्दावली में मैंे आपके आविष्कार से इम्प्रेस होकर आपको भयंकर विसखोपड़ा कहूंगा। सर सुना है आजकल सियासत में कुदक्का मारने के लिए आप लंगोट कस रहे हैं, कुछ राजनीतिक ड्योढ़ी पर आप फेरियाआईल चल रहे हैं, साहेब यह ध्यान रखिएगा राजनीति के लोग आपसे बड़का बिसखोपड़ा होता है तबे तो आप कतनो मेंडर मार रहे हैं मामला नहीं फरिया रहा है। सर आपको यह भ्रम न हो जाए कि मेरी आपसे कोई पर्सनल दुश्मनी है इसलिए यह पत्र मैं आपको लिख रहा हूं। यह भी भ्रम मत रखिएगा सर कि प्रसिद्धी पाने के लिए मैं यह पत्र आपको लिख रहा हूं। बड़े लोग हैं आप आपसे दुश्मनी कैसी और प्रसिद्धी की मुझे जरूरत नहीं है। इ त ए ही चलते लिख रहे हैं कि बड़ा बहस छिड़ा है अश्लीलता पर निःसंदेह सिर्फआप उसके लिए जिम्मेवार नहीं हैं लेकिन बड़़ा योगदान है आपका इसमें। हांलाकि आपके संघी साथियों ने भी रिमोट से @#%$ उठाया है। जानते हैं सर जिस राज्य में आपका घर है उस राज्य के मुख्यमंत्री का कहते हैं….उ कहते हैं कि ‘शार्टकर्ट के चक्कर में नहीं रहना चाहिए न त शार्ट सर्किट हो जाता है।’ ई विडम्बना है कि आप जैसों के शार्टकर्ट के चक्कर में शार्ट सर्किट हो रहा है। सर यह तर्क ठीक नहीं है कि लोग जो सुनना पसंद करते हैं हम वही गाते हैं। समाज मे जो व्यक्ति एक व्यक्तित्व के तौर पर स्थापित हो जाता है वो एक डाक्टर की भूमिका में होता है। यह ठीक है कि लोगों ने अपना हाजमा कुछ ऐसा बना लिया है कि वे मनोरंजन के नाम पर कुछ भी पचा जाते हैं और माफ किजिएगा सर जो लोग मनोरंजन के नाम पर कुछ भी पचा जाते हैं, मनोरंजन के नाम पर जो आपके द्धिअर्थी शब्दों का विषपाण करते हैं, अश्लीलता भकोस जाते हैं वे दर्शक और श्रोता नहीं बीमार हैं सर और आप तो डाक्टर हैं आपके मरीजों (दर्शकों और श्रोताओं) को जिन चीजों से परहेज है, जिसके सेवन से उनकी बीमारी बढ़ेगी आप उसी का सेवन उसे करा रहे हैं। सर महत्वकांक्षा पालिए राजनीति में जाईए.. लोकतंत्र यह अधिकार सभी को देता है। भारत का हर नागरिक चुनाव लड़ सकता है, वोट दे सकता है यह अधिकार आपको भी है। लेकिन दिक्कत जानते हैं आविष्कारक महोदय कहां पर है। दिक्कत यह है कि आप मंशा राजनीति में जाने की सिर्फ इस वजह से है क्योंकि अश्लीलता के शार्टकर्ट से आपने जो प्रसिद्धि पायी है उसने आपको यह ओवर कांफिडेंस दे दिया है कि आप चुनावी मैदान मार सकते हैं, बहुत हद तक संभव है कि आप चुनाव जीत भी जाएं लेकिन सर यह मंशा बहुत खतरनाक है। यहां तक कि राजनीति को अपनी शरणस्थली समझकर इसमें प्रवेश करने वाले कुछ गुंडो की मंशा से भी खतरनाक है। क्या करेंगे सर आप जब राजनीति में जाएंगे तो? एक बड़ी समस्या तो आपने और आप जैसे कईयों ने खड़ी कर दी है। अश्लीलता चुनौती है और आप जैसों के द्वारा निर्मित चुनौती है क्या आप इससे निपट पाएंगे? आपके लिए तो सही समाजसेवा यही है कि आप अपनी तिजोरी से मुंह फेर लें और सीना तानकर कहें कि हां अब हम यह नहीं होने देंगे। लेकिन क्या आप ऐसा कर पायेंगे? सर उस सलाई रिंच के जंग लगा दिजिए जिससे @#$% खुलती है नहीं तो बिहार में इसके खिलाफ भी आंदोलन का एक रास्ता खुल जाएगा। आपकी शिकायत होती है कि आपके अच्छे कामों पर कोई नहीं बोलता तो मैं बोलता हूं सर मैंने हाल के दिनों में जितनी भोजपुरी फिल्म देखी है उसमें सबसे ज्यादा आपकी है। अच्छी लगती है मुझे आपकी फिल्में लेकिन खून का घूंट पीकर रहना पड़ता है जब सरस्वती पूजा के किसी पंडाल में आपका वो वाला गाना बजता है। मानसिकता बदलिए और जिसे आप अपना बड़ा दर्शक वर्ग और श्रोता वर्ग समझ रहे हैं वो बीमार लोग हैं उनका हाजमा खराब है उन्हें इलाज की जरूरत है। आप चाहें तो कर सकते हैं। सर टिकट के चक्कर में जहां-जहां आप फेरियाए हैं हो सके तो एक चक्कर सीएम साहेब के यहां भी मार आईए और पूछिएगा उनसे कितना मुश्किल था उनके लिए शराबबंदी का फैसला। यह फैसला किसी वोटबैंक के लिए नहीं होना था बल्कि एक सीएम में समाज सुधार की जिद जाग गयी थी। सर आप भी चाहें तो ऐसा कोई फैसला ले सकते हैं। फायदे का सौदा है सर मैं तो आपको सलाह दे रहा हूं कि अश्लीलता का कबाड़़ जो आपने जमा किया है उसे साफ करने में लग जाईए दर्शक-श्रोता कम हुए तो भी हो सकता है वोटर बढ़ जाएं और अभी तो आपको सियासत में जाना है न सर? मोह छोड़िए और लग जाईए और प्लीज सर जंग लगा दिजिए उस सलाई रिंच में जिससे @#$% खुलती है और उस ख्याल रखिएगा उस रिमोट में अब बैट्री कभी न लगे जिससे @#उठता है।