
जैसे कि आज सुबह से ही अंदेशा था, सीबीएसई ने सरकार के दबाव में कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दीं। कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाएं कोविड की स्थिति में सुधार के बाद ली जाएंगी। यद्यपि बोर्ड का यह तर्क आधारहीन नहीं है कि कोरोना के मारक प्रहार को देखते हुए बच्चों की जीवनरक्षा के लिए यह क़दम अपरिहार्य था, किन्तु जिस प्रकार कक्षा 12 के बोर्ड परीक्षार्थी भविष्य में परीक्षा देंगे, वैसे ही कक्षा 10 के बच्चे भी दे सकते थे।

मुझे यह तर्क नहीं भाया कि उन्हीं बच्चों के लिए बोर्ड की परीक्षा बाद में ली जाएगी, जो सीबीएसई द्वारा बिना परीक्षा दिए प्राप्त अंकों से संतुष्ट नहीं होंगे। यदि यह सुविधा कुछ बच्चों को दी जा सकती है, तो सबको क्यों नहीं?मेधावी बिहार के मेधावी बच्चे इस निर्णय के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे। वे स्थिति सुधरने पर परीक्षा की मांग कर रहे हैं। वे यह स्थिति बर्दाश्त करने के लिए स्वयं को तत्पर नहीं पा रहे, जिसमें उन्हें आजीवन यह सुनना होगा कि 2021 के बच्चों को कक्षा 10 बोर्ड की मार्कशीट ख़ैरात में मिली थी। यह निर्णय मात्र उन्हीं बच्चों को लाभ पहुंचाने वाला है, जिन्होंने न पढ़ाई की है, न करने की इच्छा रखते हैं। इस प्रकार हम किस प्रकार की पीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं?
बिहार के बच्चों की मांग है कि भले ही सरकार देश के अन्य राज्यों के सभी बच्चों को बिना परीक्षा दिए उत्तीर्ण कर दे, किन्तु बिहारी अस्मिता बिना परीक्षा दिए प्रमाणपत्र लेने के लिए तैयार नहीं है। जब भी कोविड की स्थिति में सुधार आए, बिहारी बच्चों को परीक्षा में शामिल किया जाए। भारी परीक्षा शुल्क देकर परीक्षा नहीं लेना कहां का न्याय है? हाँ, जो विद्यार्थी किसी कोविड-जनित बाधा के कारण परीक्षा देने की स्थिति में न हों, भले ही उन्हें विद्यालय के आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के साथ उत्तीर्णता प्रदान की जाए, जिससे उनका साल बर्बाद न होने पाए।
उन्होंने अपील करते हुए कहा कि पैंडेमिक के मारक प्रसार को देखते हुए बोर्ड का यह विवशता भरा फैसला है। यद्यपि बच्चों के भविष्य के लिए यह अनुचित है और यह 2021 में कक्षा 10 उत्तीर्ण बच्चों का अकादमिक सम्मान आजीवन प्रश्नचिह्न में रखेगा, किन्तु बच्चों को कोविड से सुरक्षा के लिए सरकार को ऐसा करना पड़ा है। बिहार के मेधावी बच्चों से मेरा अनुरोध होगा कि वे दिए गए अंकों से संतुष्ट न होते हुए भविष्य में आयोजित होने वाली बोर्ड की परीक्षा में बैठें और अपनी मेधा और श्रम से अंक प्राप्त करते हुए आगे बढ़ें।
डॉ सी बी सिंह
प्रेसिडेंट
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स, बिहार