बिहार डेस्कः कल यानि 5 सितम्बर को बिहार के नियोजित शिक्षकों की मांग ‘समान काम समान वेतन’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। बिहार के तकरीबन 4 लाख नियोजित शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में नियोजित शिक्षकों को जरूर यह उम्मीद होगी कि शायद शिक्षक दिवस के दिन सुप्रीम कोर्ट उन्हें ‘समान काम समान वेतन’ का तोहफा दे दे।बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की समान काम-समान वेतन की मांग पर राज्य सरकार अपना पक्ष रख चुकी है. अब शिक्षक संगठनों के अधिवक्ता नियोजित शिक्षकों की पैरवी कर रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल भी अपना पक्ष रखेंगे.सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है. राज्य सरकार सूबे के नियोजित शिक्षकों को 20 फीसदी की वेतन वृद्धि देने की सहमति जतायी है. जबकि, शिक्षक संघ की वकील ने दलील पेश करते हुए कहा है कि जो शिक्षक टीईटी या एसटीईटी पास हैं, उन्हें तो हर हाल में वेतनमान मिलना ही चाहिए. ऐसे शिक्षकों को वेतनमान देने में सरकार को किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए. शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद एसटीईटी और टीईटी पास शिक्षकों की बहाली की गयी थी. ऐसे में इन्हें समान काम के लिए समान वेतन देना हर हाल में अनिवार्य है. जहां तक बिना टीईटी या एसटीईटी पास शिक्षकों का सवाल है, तो इन्हें भी समान काम के बदले समान वेतन का लाभ मिलना चाहिए. बशर्ते इन्हें इसके एरियर का लाभ देने से पहले टीईटी या एसटीईटी की परीक्षा से गुजरना अनिवार्य कर दिया जाये.