
बिहार डेस्क-अनूप नारायण सिंह
इंसान अगर अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए दृढ़ निश्चय हो जाए तो उसे मंजिल जरूर मिल जाती है इस कहावत को सत्य सिद्ध कर दिखलाया है मधुबनी के एक छोटे से मधेपुर गांव में साधारण परिवार में जन्म लिए मुरली झा ने। इनदिनों पूरे पटनावासियों के लिए चर्चा का विषय बने हुए हैं। वजह कुछ और नही बल्कि शिक्षा है। मुरली भाग दौड़ भरी जिंदगी में से जो पल बचता है। उसे गरीब परिवार के जुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने में लगा देते हैं।

संघर्षों में ही पले बढ़ें हैं मुरली
मुरली का बचपन आम बच्चों की तरह संघर्षों से होकर गुजरा है। वे बताते है कि जब गांव के स्कूल में पढ़ने जाते थे। तो बहुत सारे बच्चे मजबूरी में पढ़ने नही आ पाते थे। किसी के पास स्लेट नही, तो किसी के कपड़े नही होते थे। आर्थिक तंगी इतनी थी कि दो जून की रोटी के लिए बच्चों को बीच में पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ता था। कई तरह कि समस्याएं खड़ी हो जाती थी। फिर भी मुरली उन बच्चों को अपने पॉकेट खर्च में से बचाए हुए रुपयों से कुछ हद तक मदद करने की कोशिश करते रहते थे।
बचपन से मिली प्रेरणा
बचपन में गरीबी को इतने करीब से देखनें के बाद मुरली के मन में सहायता करने के लिए हर समय ख्याल उत्पन होते रहते थे। L.N.M.U के C.M कॉलेज दरभंगा से M.COM पास करने के बाद जब वे पटना आये तो सबसे पहले गरीब बच्चों को शिक्षित करने का ठान लिया।
गायत्री परिवार से जुड़ें मुरली
पटना में ही उनके मित्र के द्वारा गायत्री परिवार के द्वारा संचालित बाल संस्कार शाला के बारे में जानकारी मिलीं। मित्र से मिली हुई जानकारी के बाद मुरली को लगा कि उनका मुकाम अब बहुत जल्द मिलनें वाली है। जो सोचकर वे मधुबनी से पटना में करने के लिए आये थे। वो अब पूरा होने के पास है। इस तरह से मुरली 2013 में गायत्री परिवार से जुड़कर बच्चों को शिक्षित करने में लग गये।
लगभग सैकड़ों गरीब बच्चों को दे रहें हैं शिक्षा
पटना जिलें के संपतचक प्रखंड स्थित चैनपुर गांव में मुरली सैकड़ों गरीब तपके के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं। इतना ही नही जिन बच्चों के पास पठन-पाठन की सामग्रियां नही होती हैं। वैसे बच्चों को चिन्हित कर सभी जरूरत के सामानों को फ्री में बांटी जाती हैं। जिससे गांव के लोगों में मुरली की छवि काफी लोकप्रिय हो गयी है। लोग इस कार्य को बेहद ही सराह रहे हैं।
अफवाह से रोने लगी थीं मुरली की माँ
मुरली के पिता वरुण झा स्वास्थ्य विभाग के कर्मी हैं। जबकि माता कुशल गृहणी के रूप में घर को संभालती हैं। मुरली बताते हैं कि एक समय उनके जिंदगी में ऐसा भी आया जब मां रोने लगी। उन्हें किसी ने अफवाह में बता दिया था कि मुरली गायत्री परिवार से जुड़ गया है। अब बाबा हो जायेगा। कभी शादी विवाह नही करेगा। जो लोग इससे जुड़ते हैं। वे कुवारें ही रहते है। फिर भी मुरली ने हार नही माना माँ को समझने के साथ अभी तक लगभग 5 वर्षों से गायत्री परिवार के सचें सिपाही के तौर पर कार्यरत हैं।
पटना जंक्शन पर भी संचालित होता है बाल संस्कार शाला
मिली जानकारी के अनुसार बाल संस्कार शाला पटना जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या 1, राजेंद्र नगर प्लेटफार्म संख्या 1 सहित शहर के कुल 30 जगहों पर नियमित 4:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक संचालित होता है।