भारत में कोरोना का पहला केस केरल में 30 जनवरी को सामने आया था और पूरे फरबरी माह में मात्र दो केस की बढ़ोतरी हुई थी। मार्च महीने की शुरुआत कोरोना के तीन मामले से हुई थी जो कि 24 मार्च यानि लॉक डाउन शुरू होते समय 536 तक पहुंच गई थी। देश में लॉक डाउन का अच्छा खासा असर दिखा और पहला एक लाख केस पहुंचने में कुल 120 दिन लग गये थे। वही कोरोना अनलॉक की शुरुआत होते ही बेतहाशा बढ़ने लगी और अगला एक लाख केस मात्र ग्यारह दिन में बढ़ गई। आंकड़ो की मानें तो 31 मई यानि लॉक डाउन के अंतिम दिन तक भारत मे मात्र 1.90 लाख कोरोना के मामले थे जो कि आज बढ़ कर दो लाख छियासी हजार पार कर चुका है वहीं आठ हजार एक सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि राहत की बात ये है कि अब तक देश मे एक लाख इकतालीस हजार से अधिक लोग ठीक भी हो चुके हैं। देश मे अभी कुल एक्टिव केस की संख्या करीब एक लाख पैंतालीस हजार है।
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ऊपर के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो परिणाम आता है कि लॉक डाउन के दौरान सरकार के तरफ से लगाई गई भारी बंदिशें कोरोना की रफ्तार को रोक तो नहीं सकी लेकिन रफ्तार पर लगाम जरूर लगा कर रखी थी। 31 मई को लॉक डाउन खत्म होने के साथ ही सड़कों, बाजारों में लोगों की चहलकदमी बढ़ने लगी और साथ ही बढ़ने लगी कोरोना मामलों की संख्या। आंकड़ो पर गौर करें तो मई के अंत तक देश में कोरोना से महज पांच हजार चार सौ के करीब लोग कोरोना के सामने जिंदगी की जंग हारे थे जो कि अब आठ हजार को पार कर चुकी है। हालांकि देश में कोरोना के बढते मामलों के बीच भी एक अच्छी खबर है कि यहां रिकवरी रेट अन्य देशों की तुलना में अच्छी है।