तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष, मानविकी के पूर्व अध्यक्ष, प्रख्यात समालोचक, कवि एवं लेखक प्रोफेसर डॉ गणेशानंद झा का निधन सोमवार को हो गया। गणेशानंद झा ने हिंदी साहित्य के साथ ही कई आध्यात्मिक विषयों पर कालजयी पुस्तक लिखी थी। खासकर आस्तिकता, गणेश, शिव और शक्ति जैसी पुस्तक उनकी अद्वितीय कृति रही। वे प्रखर वक्ता भी थे और सम सामयिक मुद्दों पर उनके गंभीर विचार लोगों के लिए ज्ञानवर्द्धक होते थे। उनका निधन समकालीन हिंदी साहित्य के एक सितारे का अंत होने जैसा है। उनके निधन पर समूचे साहित्य जगत में शोक की लहर है।
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वरिष्ठ पत्रकार और वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद कौशल ने अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि प्रो. गणेशानंद झा उनकी हिंदी पत्रकारिता के पहले गुरू थे, उनकी प्रेरणा से ही उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी। पूर्व राज्यसभा सांसद एवं ख्यात पत्रकार, पूर्व राजनयिक गौरी शंकर राजहंस, आध्यात्मिक चिंतक और विचारक ज्ञान राजहंस, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के हिंदी संकाय के विभागाध्यक्ष एवं मानविकी अध्यक्ष डॉ बहादुर मिश्र समेत अन्य बुद्धिजीवियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। आनंद कौशल ने प्रोफेसर झा के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से उन्हें संबल प्रदान करने की कामना की है।