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बिहार ब्रेकिंग-अनूप नारायण सिंह
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गंगा दशहरा का दिन बहुत विशेष होता है इसलिए इस दिन स्नान करने का भी बहुत अधिक महत्व है। माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने मात्र से ही मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण गंगा नदी में स्नान नहीं हो सकते हैं तो आपको पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इससे आप तन एवं मन दोनों से निर्मल महसूस करेंगे।
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गंगा दशहरा के दिन दान का महत्व
आज का दिन स्नान, दान का रूपात्मक व्रत होता है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इसमें स्नान और दान तो विशेष रूप से करें। माना जाता है कि आज के दिन यदि गंगा जी या अन्य किसी पवित्र नदी पर सपरिवार स्नान के लिए जाएं तो सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते यह संभव नही हो सकता है इस बार घर पर ही गंगाजल जी को सम्मुख रखकर मां गंगा जी की पूजा-आराधना करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जप-तप, दान, व्रत, उपवास और गंगा जी की पूजा करने पर सभी पाप जड़ से कट जाते हैं। आज के दिन परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से सवा सेर चूरमा बनाकर साधुओं, फकीरों और ब्राह्मणों में बांटने का भी रिवाज है।
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ब्राह्मणों को बड़ी मात्रा में अनाज को दान के रूप में आज के दिन दिया जाता है। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। आज ही के दिन आम खाने और आम दान करने का भी विशेष महत्व है। गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है।