विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर प्रदेश के प्रख्यात कैंसर सर्जन डॉ वी पी सिंह ने तंबाकू को वैश्विक महामारी कोरोना से भी खतरनाक बताया। उन्होंने इस बाबत आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि तंबाकू से होने वाले कैंसर मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। आज तंबाकू का सेवन हर 40 सेकेंड पर एक जान ले रहा है। देश भर में 12 करोड़ लोग किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं, जिसमें बिहार के आंकड़े भी काफी खतरनाक हैं। बिहार में तंबाकू का सर्वाधिक इस्तेमाल होता है, जहां एक चौथाई नई पीढ़ी तंबाकू के आदी हो चुके हैं और प्रतिवर्ष 1. 68 लाख लोग तंबाकू के कारण कैंसर से मर जाते हैं। डॉ सिंह ने कहा कि सिगरेट का एक कश जिंदगी का एक मिनट काम करता है। देश में तंबाकू से हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर देश में सर्वाधिक तंबाकू का सेवन बिहार में होता है। बिहार में 25.9 फ़ीसदी युवा तंबाकू का सेवन करते हैं। दुनिया में कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू है। इसमें हर तीसरा व्यक्ति कैंसर का मरीज तंबाकू का सेवन करता है। वर्तमान में भारत में टीवी व एड्स से ज्यादा मरीज कैंसर के कारण मर रहे हैं। बिहार में तंबाकू के शौकीनों की संख्या घटी तो है लेकिन कैंसर रोगों की संख्या बढ़ी है। कारण है कि तंबाकू की गिरफ्त में शरीर को पूरी तरह शुद्ध होने में करीब 15 साल लगते हैं।
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उन्होंने बताया कि पूरे विश्व के लोग तंबाकू मुक्ति और स्वस्थ होने के लिए तंबाकू चबाने या धूम्रपान से होने वाली परेशानी और स्वास्थ्य जटिलता से लोगों को जागरूक बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा तंबाकू निषेध दिवस की शुरुआत की गई। इसे पहली बार 7 अप्रैल 1988 को डब्ल्यूएचओ के वर्षगांठ पर मनाया गया। बाद में हर साल 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। इस उत्सव का लक्ष्य तंबाकू इस्तेमाल से होने वाले नुकसानदायक प्रभाव के लिए लोगों को जागरूक करना है। तंबाकू के सेवन से शरीर के किसी भी हिस्से में कैंसर का खतरा होता है – जैसे दिमाग में गांठ गला हॉट गला जीव पेट लीवर फेफड़ा हृदयघात बांझपन गर्भावस्था शिशु के लिए खतरा हाथ पर अंडाशय इत्यादि। तंबाकू में इस्तेमाल होने वाले रसायन रोजमर्रा की जिंदगी में कीड़ा मारने, फर्श की सफाई चींटी मारने गैस चेंबर सड़क निर्माण परमाणु हथियार आदि में की जाती है। उन्होंने कहा कि नशे की तलब पर चॉकलेट टॉफी आदि से काम चलाया जा सकता है। नशा को छोड़ने के सबसे जरूरी इच्छाशक्ति है और कहा गया है कि इंसान अगर एक बार ठान ले तो कुछ भी कर सकता है।