कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉक डाउन के कारण रोजी रोटी की तलाश में अन्य शहरों में कमाने गए मजदूरों का गृह राज्य वापसी लगातार जारी है। लॉक डाउन लगाए जाने के बाद मजदूरों की वापसी के लिये सरकार के तरफ से कोई व्यवस्था न देख मजदूर पैदल ही जब घरों के लिए चल दिये तो फिर सरकार ने बस और ट्रेन की व्यवस्था की। हालांकि सरकार ने बस एवं ट्रेन की व्यवस्था तो की लेकिन किराया मजदूरों से ही वसूला जा रहा है। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की एवं सरकार को निर्देश दिया कि किसी भी सूरत में प्रवासी मजदूरों से किराया नहीं ली जाए, मजदूरों के किराया का व्यवस्था सरकार करे।
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सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सरकार को यह भी निर्देश दिए कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। अगर कोई प्रवासी मजदूर पैदल जाता पाया जाए तो तुरंत उसे आश्रय और खानपान मुहैया कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्यों की ओर से प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया कराया जाए। ट्रेनों में रेलवे की ओर से उन्हें भोजन और पानी मुहैया कराया जाए।सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले पर कहा कि प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के लिए रजिस्ट्रेशन, परिवहन और उन्हें आश्रय व खानपान मुहैया कराने को लेकर कई खामियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की गरीबी और अन्य समस्याओं पर विचार किया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि रजिस्ट्रेशन के बाद भी प्रवासी मजूदरों को वापस घर जाने के लिए हफ्तों को इंतजार करना पड़ रहा है। बड़ी संख्या में प्रवासियों को पैदल घर जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। बेंच ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और केंद्र-राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए। अदालत ने 28 मई तक इसपर जवाब मांगा था। इसी पर गुरुवार को सुनवाई हुई।